अंडे और चिकन को ब्रांड बनाने की मांग'अंडे-चिकन की खपत बढ़ानी है तो हमे उसे ब्रांड बनाना होगा. आसानी से लोगों की पहुंच हो इस तरह से हर तरहके बाजार में उपलब्ध कराना होगा. शैम्पू पाउच की तरह से दो अंडों को भी पैकिंग में लाना होगा. अंडा और चिकन क्यों खाएं ये भी बताना होगा. रेट और क्वालिटी के मामले में भी ग्राहकों का ख्याल रखना होगा. जरूरत पड़े तो रीब्रांडिंग भी कर सकते हैं.' ये कहना है सुनील कटारिया, एमडी-सीईओ, गोदरेज एग्रोवट का. पोल्ट्री इंडिया एक्सपो के नॉलेज डे में बोलते हुए पोल्ट्री सेक्टर को उन्होंने ये टिप्स दिए हैं. नॉलेज डे का विषय था सस्टेनेबल एंड प्रॉफिटेबल पोल्ट्री, विकसित भारत.नॉलेज डे में युगांडा, लेबनान, डेनमार्क और श्रीलंका समेत 25 देशों के पोल्ट्री और एनिमल हसबेंडरी से जुड़े अधिकारी, फार्मर, कारोबारी, साइंटिस्ट और रिसर्च स्कॉलर हिस्सा ले रहे हैं.
नॉलेज डे में देश-विदेश के आठ वक्ताओं ने पोल्ट्री से जुड़े खास मुद्दे जैसे उत्पादन बढ़ाना, बाजार में खपत बढ़ाना, मुर्गियों के फीड और उनसे जुड़ी बीमारियों पर चर्चा की और उसके समाधान पर बात की.
नॉलेज डे के विषय पर बोलते हुए तरुण श्रीधर, पूर्व सेक्रेटरी एनिमल हसबेंडरी ने बताया कि आज पोल्ट्री सेक्टर देश में 40 लाख से ज्यादा नौकरियां दे रहा है. बैकयार्ड पोल्ट्री महिलओं को आत्मनिर्भर बना रही है. और इसके बिना विकसित भारत 2047 की बात अधूरी है. पब्लिपक हैल्थ कुपोषण जैसे चैलेंज से लड़ने में भी पोल्ट्री ही एक सबसे बड़ा हथियार है. कम पैसों में और प्योर न्यूट्रीशन सिर्फ अंडे और चिकन से ही मिलता है.
अंडे-चिकन की खपत बढ़ाने को के लिए प्रचार पर भी काम करना होगा. उसके लिए कोई जरूरी नहीं कि 24 घंटे ऐड फिल्म चलती रहें. और भी बहुत से ऐसे साधन हैं जिनका इस्तेमाल खासतौर से ग्रामीण इलाकों में चिकन और अंडे के फायदे पहुंचाए जा सकते हैं. ये कहना है रवि बंका, एमडी, ऐग फर्स्ट एड एजेंसी का. रवि बंका का कहना है कि हमे अंडे और चिकन से जुड़ी ऐसी छोटी-छोटी लाइन बनानी होंगी जो ग्रामीण इलाके के लोगों को जल्द समझ में आ जाएं. और इसके लिए हमे उन्हें टीवी पर कोई ऐड फिल्म दिखाने की जरूरत नहीं है.
ग्रामीण इलाकों में अंडे-चिकन को घर-घर पहुंचाने के लिए हम एफपीओ, कोल्ड चेन, आंगनबाड़ी, आशा कार्यकर्ता, कम्यूनिटी लीडर, पंचायत और वीकली हाट का सहारा लिया जा सकता है. इतना ही नहीं ऐसे सोशल मीडिया इंफ्ल्ंयसर की मदद भी ली जा सकती है जिनकी ग्रामीण इलाकों में ज्यादा से ज्यादा रीच है. इसके साथ ही दो काम और करने होंगे, पहला अवेयरनेस प्रोग्राम चलाकर और दूसरा अंडे-चिकन के लिए लोगों का भरोसा जीतना होगा. और इसमे मदद करेंगे देश का युवा और स्मार्ट चिकन सेंटर.
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