Lumpy: मई में गायों पर झपट्टा मार सकती है लंपी बीमारी, जारी हुई चेतावनी

Lumpy: मई में गायों पर झपट्टा मार सकती है लंपी बीमारी, जारी हुई चेतावनी

एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो लंपी का कोई कारगर इलाज नहीं है. सिर्फ टीका लगाकर इसे फैलने से रोका जा सकता है. साथ ही पशुओं के बाड़े में बायो सिक्योरिटी अपनाकर भी लंपी बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है. 

नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Apr 15, 2025,
  • Updated Apr 15, 2025, 2:46 PM IST

देश में लंपी बीमारी को आए कोई बहुत ज्यादा वक्त नहीं हुआ है, लेकिन अब शायद ही कोई ऐसा महीना जाता होगा जब लंपी के खौप से पशुपालक परेशान न होते हों. सूत्रों की मानें तो कई जगह अब लंपी के केस सामने आते ही रहते हैं. केन्द्र सरकार के निवेदी संस्थान ने मई के लिए चेतावनी जारी की है. चेतावनी देश के 14 राज्यों के 72 शहरों के लिए जारी की गई है. इलाज के नाम पर अभी इस बीमारी का टीका ही सामने आया है. ये बीमारी खासतौर से गायों पर असर करती है. 

दूसरे देशों से आई ये बीमारी देशभर के ज्यादा राज्यों में अपना असर दिखा चुकी है. इस बीमारी का मुख्य कारण मच्छर और मक्खी हैं. संस्थान के मुताबिक मई में लंपी का सबसे ज्यादा असर झारखंड, असम, कर्नाटक और उत्तराखंड में देखने को मिल सकता है. हालांकि बि‍हार एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (बासु), पटना के वाइस चांसलर डॉ. इन्द्रजीत सिंह का कहना है कि वैक्सीन के साथ ही बॉयो सिक्योरिटी अपनाकर इस बीमारी का बड़ी ही आसानी से मुकाबला किया जा सकता है. 

मई में यहां फैल सकती है लंपी बीमारी 

निवेदी संस्थान के मुताबिक 14 राज्यों के 72 शहरों में लंपी का असर हो सकता है. इसमे सबसे ज्यादा शहर झारखंड के 12, असम के 11, कर्नाटक के 11 और उत्तराखंड के 09 शहर हैं. इसके अलावा राजस्थान, मध्य प्रदेश, केरल, अरुणाचल प्रदेश और गुजरात के भी कई शहर इसमे शामिल हैं. 

सबसे ज्यादा कमजोर गाय आती हैं लंपी की चपेट में 

डॉ. इन्द्रंजीत सिंह का कहना है कि सड़क पर घूमने वालीं और कुछ गौशालाओं में गायों को खाने के लिए पौष्टिक चारा नहीं मिल पाता है. जिसके चलते ऐसी गायों की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है. यही वजह है कि लंपी बीमारी का सबसे ज्यादा अटैक इसी तरह की गायों पर देखा गया है. लंपी की वजह से मौत भी ऐसी ही गायों की हुई. ऐसा नहीं है कि जहां गायों को बहुत अच्छा चारा मिल रहा है वहां गायों की मौत लंपी की वजह से नहीं हुई है, हुई है लेकिन उसकी संख्या  बहुत कम है. दूसरा यह कि सड़क पर घूमने वाली गाय बहुत जल्दी उन मक्खी-मच्छर की चपेट में आ गईं जो लंपी बीमारी के कारण थे. जबकि गौशालाओं और डेयरी फार्म पर बहुत हद तक साफ-सफाई होने के चलते मच्छर-मक्खी का उतना अटैक वहां नहीं हुआ. 

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