Animal Care: मॉनसून में पशुओं की ये 6 बीमारियां घटा देती हैं दूध उत्पादन, ऐसे करें बचाव  

Animal Care: मॉनसून में पशुओं की ये 6 बीमारियां घटा देती हैं दूध उत्पादन, ऐसे करें बचाव  

Animal Care Monsoon पशुपालक की सर्तकता उसके पशु को कई तरह के इंफेक्शन से भी बचा सकती है. खासतौर से मॉनसून के दौरान फैलने वाले संक्रमण के दौरान. इसके साथ ही एनिमल एक्सपर्ट के बताए कुछ उपाय अपनाकर भी पशुओं की बीमारियों को दूर किया जा सकता है. आम बीमारियों के ये उपाय अगर रोजमर्रा की दिनचर्या में भी शामिल कर लिए तो पशुओं को बहुत सारी बीमारियों से बचाया जा सकता है.

गर्मी में पशुओं का कैसे रखें खयालगर्मी में पशुओं का कैसे रखें खयाल
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Jun 24, 2025,
  • Updated Jun 24, 2025, 1:55 PM IST

Animal Care Monsoon मॉनसून में गर्मी से तो राहत मिल जाती है, लेकिन इस दौरान होने वाले संक्रमण के चलते पशु तरह-तरह की बीमारियों से घि‍र जाते हैं. कुछ बीमारियां तो ऐसी भी हैं जिनके चलते पशुओं का दूध उत्पादन घट जाता है. इन बीमारियों के पीछे जितनी बड़ी वजह मॉनसून है, उतनी ही पशुओं की देखभाल में बरती गई लापरवाही भी है. परेशान करने वाली बात ये है कि अगर किसी एक पशु को ये बीमारी होती है तो जल्द ही दूसरे पशुओं को भी अपनी चपेट में ले लेती है. और तो और सभी बीमारियां पशुओं के दूध-मीट के उत्पादन पर असर डालती हैं. 

हालांकि एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो इसमे से कुछ बीमारी ऐसी हैं जिनका इलाज सिर्फ पशु डॉक्टर ही कर सकता है, और कुछ छोटी-छोटी ऐसी ऐसी भी हैं कि जिनका इलाज घर पर ही किया जा सकता है. इसका एक नुकसान ये भी होता है कि पशुओं को होने वाली किसी भी तरह की परेशानी सबसे पहले उसके दूध-मीट के उत्पादन को घटा देती है. लेकिन पशुओं की खुराक उतनी ही रहती है. इसके साथ ही उस परेशानी को दूर करने के लिए होने वाला खर्च दूध-मीट की लागत को बढ़ा देता है. इसका सीधा असर पशुपालक के मुनाफे पर पड़ता है.  

सबसे ज्यादा परेशान करती हैं जूं और किलनी

पशुओं के जूं और किलनी होने के दौरान नीम के पत्तों को पानी में उबालकर गाय के शरीर पर स्प्रे करें. या फिर एक कपड़े को नीम के पानी में डालकर कपड़े से पशु को धोना चाहिए. इस उपाय को कई दिन लगातार करने से गाय की जूं और किलनी की परेशानी दूर हो जाती है. 

योनि रोग की बड़ी वजह है जेर 

गाय-भैंस के प्रसव के बाद जेर पांच घंटे में गिर जानी चाहिए. अगर ऐसा न हो तो गाय दूध भी नहीं देती. अगर जेर ना गिरे तो फौरन ही पशुओं के डॉक्टर से सलाह लेकर जेर से जुड़े उपाय अपनाने चाहिए. इसके साथ ही पशु के पिछले भाग को गर्म पानी से धोना चाहिए. और खास ख्याल रहे कि किसी भी हाल में जेर को ना तो हाथ लगाएं और ना ही जेर को खींचने की कोशिश करनी चाहिए.

चोट-घाव में कीड़े पड़ने का रहता है डर

चोट या घाव में कीड़े पड़ने से पशु बहुत ज्यादा परेशानी महसूस करता है. जब भी पशु के शरीर पर कोई भी चोट या घाव देखें तो फौरन ही उसकी गर्म पानी में फिनाइल या पोटाश डालकर सफाई करनी चाहिए. घाव में अगर कीड़े हों तो एक पट्टी को तारपीन के तेल में भिगोकर पशु के उस हिस्से पर बांध देनी चाहिए. मुंह के घावों को हमेशा फिटकरी के पानी से धोना चाहिए. 

ये भी बनते हैं योनि इंफेक्शन की वजह 

योनि में इंफेक्शन तब बनता है जब बच्चा देने के बाद गाय-भैंस की जेर आधी शरीर के अंदर और आधी बाहर लटक जाती है. ऐसा होने पर गाय के शरीर का तापमान बढ़ जाता है और योनि मार्ग से बदबू आने लगती है. इसके साथ ही पशु की योनि से तरल पदार्थ रिसने लगता है. इस स्थिति में पशु चिकित्सक की निगरानी में गाय के उस हिस्से को गुनगुने पानी में डिटॉल और पोटाश मिलाकर साफ करना चाहिए. 

जल्दी-जल्दी होने लगते हैं दस्त-मरोड़

पशुओं को दस्त और मरोड़ होने पर वो पतला गोबर करने लगती है. डॉक्टरों का कहना है कि किसी भी पशु को इस तरह की परेशानी तब होती है जब पशु के पेट में ठंड लग जाए. बरसात के दौरान ज्यादा हरा चारा खाने से भी ऐसा होने लगता है. अगर ऐसा हो तो इस दौरान पशुओं को हल्का आहार देना चाहिए जैसे चावल का माड़, उबला हुआ दूध, बेल का गूदा आदि. वहीं साथ ही बछड़े या बछड़ी को दूध कम पिलाना चाहिए.

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