Vaccination for Goat Disease दूध और मीट के लिए पाले जाने वाले पशुओं की कुछ खास बीमारियें का अभी तक कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है. हालांकि ऐसी बीमारियों को वैक्सीन (टीका) से कंट्रोल किया जा रहा है. ऐसी ही पांच बीमारियां ऐसी हैं जो बकरियों में भी होती हैं. क्योंकि बकरियों को दूध से ज्यादा मीट के लिए पाला जाता है इसलिए इन बीमारियों पर खास ध्यान दिया जाता है. हालांकि बकरे-बकरियों को दूसरे पशुओं के मुकाबले ब हार्ड इम्यूनिटी का माना जाता है. इसी के चलते ऐसा कहा जाता है कि गाय-भैंस को कोई भी बीमारी जल्दी लग सकती है, लेकिन बकरी को नहीं.
यही वजह है कि बकरी पालन की एक खास वजह ये भी है. बकरी पालन में बीमारियों का जोखिम बहुत कम होता है. गोट एक्सपर्ट की मानें तो बीमारियों के बचे हुए जोखिम को भी वक्त से वैक्सीनेशन करा कर खत्म और कंट्रोल किया जा सकता है. बकरी पालन में मुनाफा बढ़ाने के लिए जरूरी है कि बकरयिों की मृत्यु दर को कम किया जाए. और ऐसा करने के लिए जरूरी है कि उन्हें वक्त से टीके लगवाए जाएं.
ब्रुसेल्लोलसिस- छह महीने और 12 महीने की उम्र पर जांच कराएं. जो पशु संक्रमित हो चुका है उसे गहरे गड्डे में दफना दें.
जोहनीज (जेडी)- छह महीने और 12 महीने की उम्र पर जांच कराएं. संक्रमित पशु को फौरन ही झुंड से अलग कर दें.
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