पशुपालन स्टार्टअप गोकारिन (GoCarin) ओडिशा के बालासोर जिले में एक बड़ा पशु चारा निर्माण प्लांट शुरू करने जा रहा है. यह प्लांट नवंबर 2025 से चालू हो जाएगा. कंपनी के संस्थापक रामानुज पांडा ने जानकारी दी कि यह ओडिशा का सबसे बड़ा और पूरी तरह से IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) से ऑटोमेटेड प्लांट होगा. गोकारिन पहले से ही पश्चिम बंगाल के बर्दवान में एक छोटा प्लांट चला रही है. वह प्लांट अब अपनी पूरी क्षमता पर काम कर रहा है, इसलिए कंपनी को एक बड़े प्लांट की जरूरत थी. ओडिशा में बनने वाला नया प्लांट रोजाना 250 टन चारा बना सकेगा, जबकि बर्दवान प्लांट की क्षमता प्रति माह 500 टन है. नया प्लांट बिहार, ओडिशा, झारखंड और बंगाल के किसानों को सेवा देगा.
गोकारिन ने किसानों के लिए एक मोबाइल ऐप भी तैयार किया है- GoCarin App. इस ऐप में फीड कैलकुलेटर है, जिसमें किसान जानवर का वजन, दूध देने का समय और मौसम जैसी जानकारी डालकर सही चारे का सुझाव ले सकते हैं. इस ऐप में एक ERP सिस्टम भी है, जहां किसान अपने फार्म की पूरी जानकारी – जैसे गायों की संख्या, उम्र, और देखभाल संबंधी जानकारी दर्ज कर सकते हैं. इसके बाद, ऐप का AI और मशीन लर्निंग सिस्टम किसान को यह बताएगा कि अगली गर्भावस्था कब हो सकती है, वैक्सीनेशन कब कराना है और और क्या-क्या सावधानी रखनी है.
पशुचिकित्सक और ग्रामीण प्रबंधन के विशेषज्ञ रामानुज पांडा का कहना है कि आज भी देश में ज्यादातर किसान सिर्फ घास खिलाते हैं, जो पर्याप्त पोषण नहीं देता. एक गाय जिसकी दूध देने की क्षमता 10 लीटर है, वह सिर्फ 1.5 या 2 लीटर ही देती है क्योंकि उसे सही पोषण नहीं मिल पाता.
गोकारिन का चारा खास वैज्ञानिक तरीके से तैयार किया जाता है. इसमें सोयाबीन केक, सरसों केक, टूटे चावल, डी-ऑयल्ड राइस ब्रान, नमक और कैल्साइट जैसे 20 से 25 तरह के पोषक तत्व मिलाए जाते हैं, जिससे जानवरों को संतुलित आहार मिलता है.
पांडा ने बताया कि पूर्वी भारत में व्हाइट रिवॉल्यूशन के समय पशुपालन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया. जबकि पशुपालन एक ऐसा क्षेत्र है जिसे ज्यादा जमीन या बारिश की जरूरत नहीं होती. गोकारिन का मकसद है- पूर्वी भारत के किसानों को स्मार्ट तकनीक, पोषणयुक्त चारा और सही मार्गदर्शन देकर पशुपालन को फिर से लाभकारी बनाना.
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