तालाब में मछली का जीरा छोड़ने से पहले गोबर डालना क्यों है जरूरी, चूने का भी जानें हिसाब

तालाब में मछली का जीरा छोड़ने से पहले गोबर डालना क्यों है जरूरी, चूने का भी जानें हिसाब

तालाब में 4000 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से कच्चा गोबर या सड़ी हुई खाद मिलानी चाहिए. यह सारी मात्रा एक बार में नहीं बल्कि हर महीने थोड़ी-थोड़ी मात्रा में तालाब में डालनी चाहिए. शुरू में 800 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से गोबर डालना चाहिए.

मछली पालन शुरू करने से पहले तालाब में करें ये काममछली पालन शुरू करने से पहले तालाब में करें ये काम
प्राची वत्स
  • Noida,
  • Feb 07, 2024,
  • Updated Feb 07, 2024, 11:04 AM IST

जिस तरह खेतों में खाद, बीज डालकर उसमें फसल उगाया जाता है, उसी तरह तालाब-पोखर में भी मछली पाला जाता है. इसे 'जलीय खेती' या 'पानी की खेती' भी कह सकते हैं. ऐसे में पानी की खेती को सफल बनाने के लिए इसमें भी कई चीजों का इस्तेमाल किया जाता है. इसी कड़ी में मछली के बीज (जीरा) डालने से पहले तालाब को साफ करना जरूरी है. तालाब से सभी जलीय पौधे, मछलियाँ और छोटी मछलियाँ हटा दी जानी चाहिए. बेहतर है कि मजदूर लगाकर जलीय पौधों को साफ किया जाए और फिर इस बात का ध्यान रखा जाए कि वे दोबारा न उगें. भूखी और बेकार मछलियों को खत्म करने के लिए तालाब को पूरी तरह सुखा देना चाहिए या जहर का प्रयोग करना चाहिए.

ब्लीचिंग पाउडर का भी करें इस्तेमाल

इसके लिए एक एकड़ तालाब में एक हजार किलोग्राम महुआ खली डालने से दो-चार घंटे में मछलियां बेहोश होकर सतह पर आ जाती हैं. प्रति एकड़ 200 किलोग्राम ब्लीचिंग पाउडर पानी में डालने से भी बेकार मछलियों को मारा जा सकता है. पानी में इन जहरों का असर 10-15 दिनों तक रहता है. वहीं तलब में मछली का जीरा छोड़ने से पहले गोबर जरूर दाल देना चाहिए. साथ ही चुने का भी इस्तेमाल किया जाता चाहिए. ऐसा क्यों आइए जानते हैं.

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तालाब में गोबर का प्रयोग

तालाब में 4000 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से कच्चा गोबर या सड़ी हुई खाद मिलानी चाहिए. यह सारी मात्रा एक बार में नहीं बल्कि हर महीने थोड़ी-थोड़ी मात्रा में तालाब में डालनी चाहिए. शुरू में 800 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से गोबर डालना चाहिए. उसके बाद 400 किलोग्राम प्रति एकड़ हर महिना गोबर डालना उचित है. यदि तालाब में महुआ खली का उपयोग किया गया है तो शुरू में दिए जाने वाले गोबर की मात्रा आधी हो जायेगी. हर माह दिए जाने वाले गोबर की मात्रा को तालाब के किसी किनारे पर जमा करना बेहतर होता है. 

तालाब में क्यों डाला जाता है चूना

तालाबों में चूना डालना बहुत जरूरी है, खासकर झारखंड राज्य में स्थित तालाबों में क्योंकि यहां की मिट्टी अम्लीय है और अच्छे मछली उत्पादन के लिए पानी थोड़ा क्षारीय होना चाहिए. जब तालाब सूख गया हो या सारी बेकार मछलियां बाहर निकाल दी गई हों तो 200 किलोग्राम की दर से बारीक चूर्ण चूने का उपयोग करना आवश्यक है.

मछली पालन कर कमा सकते हैं मुनाफा

जो तालाब बहुत छोटा हो और जिसमें अधिक समय तक पानी नहीं रहता हो, उसमें बड़ी मछली पैदा करना संभव नहीं है. लेकिन यदि जीरा (मछली बीज) के उत्पादन के लिए कार्यक्रम आयोजित किया जाए तो अच्छी आय प्राप्त होगी. एक किसान 25 डिसमिल तालाब से एक बार में यानी 15-20 दिन में 5,000 रुपये और साल में 3-4 फसल करके 15,000-20,000 रुपये तक कमा सकते हैं.

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