Rules for Meat: हेल्दी मीट के लिए पंजाब में शुरू हो रही ये बड़ी पहल, स्लॉटर हाउस के लिए बन रहा नियम

Rules for Meat: हेल्दी मीट के लिए पंजाब में शुरू हो रही ये बड़ी पहल, स्लॉटर हाउस के लिए बन रहा नियम

Rules for Meat बीते साल नई दिल्ली में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा एक मीटिंग बुलाई गई थी. मीटिंग का मकसद स्लॉटर हाउस में पशु कटान से पहले उनकी जूनोटिक रोगों की जांच को नियम बनाना था. इस मीटिंग में स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (DHR) के सचिव और ICMR  की ओर से महानिदेशक डॉ. राजीव बहल, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. सिंदुरा गणपति और डीडीजी (पशु विज्ञान) डॉ. राघवेंद्र भट्टा भी मौजूद थे. 

नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Dec 03, 2025,
  • Updated Dec 03, 2025, 4:50 PM IST

पशुओं से इंसानों को होने वाली जूनोटिक बीमारियों का खतरा लगातार बढ़ रहा है. हालांकि एक्सपर्ट इसकी कई बड़ी वजह बताते हैं, लेकिन क्लाइमेट चेंज उसमे से एक खास वजह है. हालांकि केन्द्र सरकार इससे निपटने के लिए कई कदम उठा रही है. इसी कड़ी में सरकार ने नेशनल वन हैल्थ मिशन (NOHM) भी शुरू किया है. वहीं भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI), बरेली मास्टर इन वन हेल्थ कोर्स शुरू कर इसके खि‍लाफ जागरुकता फैलाने के साथ ही कड़ाई से निपटने की तैयारी कर रही है. 

इन्हीं सब को देखते हुए स्लॉटर हाउस (बूचड़खाना) की निगरानी को और सख्त करने की तैयारी चल रही है. जिससे की लोगों को बीमारी मुक्त हेल्दी मीट खाने को मिल सके. इस तैयारी का सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि स्लॅाटर हाउस में भेड़-बकरी हो या भैंस सभी को काटने से पहले जूनोटिक बीमारियों की जांच की जाएगी. जांच में हेल्दी पाए जाने के बाद ही पशु काटे जाएंगे. अभी पंजाब सरकार ने इस नियम को अपने यहां लागू कर दिया है.  

मीट एक्सपोर्ट में मददगार होगा ये मॉडल

एक्सपर्ट की मानें तो अभी हमारे देश से जितना मीट एक्सपोर्ट होता है वो मात्रा बहुत कम है. मात्रा का ये आंकड़ा और भी बढ़ सकता है. भारतीय बफैलो मीट को दुनियाभर के देशों में पसंद किया जाता है. लेकिन खासतौर पर भैंसों में खुरपका-मुंहपका (एफएमडी) और ब्रेसोलिसिस बीमारी के चलते बहुत सारे देश चाहते हुए भी भारत से मीट नहीं खरीदते हैं. अगर सरकार की इस कोशि‍श के बाद मीट एक्सपोर्टर जब खरीदारों को ये सर्टिफिकेट देने में कामयाब हो जाएंगे कि पशु को काटने से पहले उसके जूनोटिक रोगों की जांच कर ली गई है और काटा गया पशु पूरी तरह से बीमारी रहित है, इससे एक्सपोर्ट के ऑर्डर बढ़ने लगेंगे. अभी खासतौर पर एफएमडी और ब्रेसोलिसिस बीमारी के चलते यूरोपिय देश भारत से मीट नहीं खरीदते हैं. 

क्या होती हैं जूनोटिक बीमारियां

एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो पशुओं से इंसानों में होने वालीं बीमारियों को जूनोटिक का जाता है. ये बीमारियां ज्यादातर कीट-पतंगों से होती हैं. इसमे सबसे बड़ा रोल मच्छर का है. कोविड, स्वाइन फ्लू, एशियन फ्लू, इबोला, जीका वायरस, एवियन इंफ्लूंजा समेत और भी न जानें ऐसी कितनी महामारी हैं जो पशु-पक्षियों से इंसानों में आई हैं. इसकी पूरी एक लम्बी फेहरिस्त है. हालांकि एक रिपोर्ट की मानें तो 1.7 मिलियन वायरस जंगल में फैले होते हैं. इसमे से बहुत सारे ऐसे हैं जो जूनोटिक हैं. जूनोटिक के ही दुनिया में हर साल एक बिलियन केस सामने आते हैं और इससे 10 लाख मौत हो जाती हैं. 

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