
Poultry Farm Management दिसम्बर की शुरुआत हो चुकी है. अब हर रोज तापमान में थोड़ी-थोड़ी गिरावट महसूस की जाएगी. खासतौर पर 20 दिसम्बर के बाद तो तापमान बहुत ही ज्यादा कम हो जाता है. और मौसम का ये हाल सिर्फ दिसम्बर तक ही नहीं जनवरी में भी रहता है. ऐसे में पोल्ट्री फार्मर को भी बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. एक तरफ तो ठंड की वजह से मुर्गियों के मरने का खतरा बना रहता है, वहीं दूसरी ओर अंडे-चिकन का उत्पादन भी कम हो जाता है. लेकिन, अगर पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो सिर्फ पोल्ट्री फार्म के तापमान को अगर कंट्रोल कर लिया जाए तो न मुर्गियां मरेंगी और न ही अंडे-चिकन का उत्पादन कम होगा.
इसके लिए जरूरी है कि ब्रूडर का इस्तेमाल किया जाए या फिर किसी और तरीके का, लेकिन फार्म का तापमान गिरना चाहिए. लकड़ी के कोयले, बायोमास पैलेट्स और धान की भूसी जलाकर भी तापमान को कंट्रोल किया जा सकता है. क्योंकि मौसम गर्मी का हो या सर्दी-बरसात का, पोल्ट्री फार्म में एक तय मानक के हिसाब से ही तापमान चाहिए. मतलब मानक से ना कम और ना ज्यादा. तापमान अगर जरा भी कम-ज्यादा होता है तो कई बार मुर्गियों की जान पर भी बन आती है.
पोल्ट्री एक्सपर्ट के मुताबिक मुर्गियों किसी भी तरह के मौसम में खुद को असहज महसूस करती हैं. और इसका सीधा असर अंडे और चिकन के उत्पादन पर पड़ता है. उत्पादन बना रहे इसके लिए सर्दी-गर्मी हर तरह के मौसम में मानक के हिसाब से पोल्ट्री फार्म में तापमान को बनाए रखना चाहिए. साल में 365 दिन होते हैं. जबकि अंडा देने वाली लेयर बर्ड (मुर्गी) एक साल में 285 से 310 तक ही अंडे देती है. 55 से 80 दिन अंडा न देने के पीछे एक्सपर्ट वैसे तो बहुत सारी वजह बताते हैं, लेकिन कुछ ऐसी बातें भी हैं जिनसे मुर्गी असहज महसूस करती है. अगर इसकी रोजमर्रा की जिंदगी में कुछ भी थोड़ा सा अलग होता है तो यह अंडा देना बंद कर देती है.
पोल्ट्री एक्सपर्ट डॉ. एनके महाजन का कहना है कि अंडे देने वाली लेयर मुर्गियां हो या फिर ब्रॉयलर चिकन सभी को पोल्ट्री फार्म में 25 से 26 डिग्री तापमान की जरूरत होती है. अगर तापमान इससे कम या ज्यादा होता है तो मुर्गियां परेशान होने लगती हैं. मुर्गियों को मौसम की इस परेशानी से बचाने के लिए पोल्ट्री फार्म में तापमान बताने वाले उपकरण लगाए जाते हैं. जैसे सर्दी के मौसम में तापमान चार से पांच डिग्री तक चला जाता है. तो ऐसे तापमान में मुर्गियां ठंड की चपेट में न आएं और उन्हें गर्मी मिलती रहे इसके लिए फार्म में ब्रूडर लगाए जाते हैं.
यह हीटर की तरह से काम करते हैं. ब्रूडर गैस और बिजली दोनों से ही काम करते हैं. ब्रूडर का इस्तेमाल खासतौर पर अंडे देने वाली लेयर मुर्गी के फार्म में किया जाता है. ब्रॉयलर चिकन के बड़े-बड़े फार्म में भी ब्रूडर का इस्तेंमाल होता है. लेकिन कुछ जगहों पर जहां संख्या कम होती है वहां लकड़ी का बुरादा और कोयले जलाकर भी ब्रॉयलर चिकन को गर्माहट दी जाती है.
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