FMD Disease खुरपका-मुंहपका (FMD) पशुओं की जानलेवा बीमारी है. ये उन पशुओं में होती है जिनके खुर के बीच में जगह (गैप) होती है. ऐसा नहीं है कि ये सिर्फ बड़ी गाय-भैंस में ही होती है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो गाय-भैंस के बछड़ों को भी ये बीमारी हो जाती है. इसलिए जैसे ही बछड़ों में एफएमडी के लक्षण दिखाई दें तो उनकी देखभाल में बदलाव शुरू कर दें. यहां तक कि पशुओं के बाड़े की भी खास तरह से साफ-सफाई शुरू कर दें. एक्सपर्ट का ये भी कहना है कि एफएमडी बछड़ों में कम ही होती है. लेकिन ये भी सच है कि एक बार होने पर ये अपना असर ठीक वैसे ही दिखाती है जैसे बड़े पशुओं में देखने को मिलता है.
इसलिए बछड़ों को एफएमडी से बचाने के लिए शेड में ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है. एक्सपर्ट के मुताबिक एफएमडी ऐसी बीमारी है जो पशुओं को किसी भी मौसम में हो सकती है. थोड़ी सी देखभाल से बछड़ों को एफएमडी जैसी खतरनाक बीमारी से बचाया जा सकता है. इसके लिए करना सिर्फ ये होगा कि डाक्टर की सलाह पर शेड में कुछ खास इंतजाम करने होंगे. साथ ही बछड़ों के व्यवहार पर भी नजर रखनी होगी.
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि एफएमडी अगर बछड़ों में होती है तो वो उनके हॉर्ट को भी प्रभावित करती है. ऐसा होने पर बछड़ों की मौत तक हो जाती है. इसलिए जहां भी एफएमडी संक्रमण फैला हो या फैलने की आशंका हो तो वहां बछड़ों की खास देखभाल करनी चाहिए. अगर बछड़ों में लक्षण दिखाई दें तो बछड़ों के शेड में भी दवाई का छिड़काव जरूरी हो जाता है. संक्रमण फैलते ही तेज बुखार के साथ मुंह और पैर में छाले हो जाते हैं. ऐसे कुछ लक्षण दिखाई देने पर फौरन ही शेड में ये जरूरत काम शुरू कर देने चाहिए.
ये भी पढ़ें- Animal Feed: दुधारू पशु खरीदते वक्त और गाभिन पशु की खुराक में अपनाएं ये टिप्स
ये भी पढ़ें- Milk Production: 2033 तक हर साल भारत को चाहिए होगा इतने करोड़ लीटर दूध, अभी है बहुत पीछे