भारत में बढ़ रहा मछली पालन का बाजार, जानें निवेश से लेकर लागत और बिजनेस शुरू करने के टिप्स 

भारत में बढ़ रहा मछली पालन का बाजार, जानें निवेश से लेकर लागत और बिजनेस शुरू करने के टिप्स 

Fish Farming Business: भारत सरकार ने ब्लू रिवॉल्यूशन के तहत मछली पालन को "सनराइज सेक्टर" घोषित किया है. वित्तीय वर्ष 2024 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मछली पालन क्षेत्र के लिए 20,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं.

भारत में मछली पालन (फोटो/AFP)भारत में मछली पालन (फोटो/AFP)
क‍िसान तक
  • नई दिल्ली,
  • Jan 23, 2025,
  • Updated Jan 23, 2025, 6:16 PM IST

    भारत में मछली पालन (Fish Farming) तेजी से विकसित हो रहा है. इसे टिकाऊ खेती के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने का एक अच्छा और टिकाऊ जरिया माना जा रहा है. मछली पालन न केवल प्रोटीन डाइट का मुख्य स्रोत है, बल्कि यह रोजगार और आर्थिक विकास में भी योगदान देता है. कई लोग इसके बिजनेस से लाखों-लाखों कमा रहे हैं.

    दरअसल, भारत विश्व स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है और जलीय कृषि (aquaculture) में दूसरा स्थान रखता है. भारत समुद्री और मीठे पानी की मछलियों जैसे कैटफिश, टिलापिया और कार्प की खेती में प्रमुख भूमिका निभाता है. 'बिजनेस टुडे' की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत का समुद्री खाद्य निर्यात 60,000 करोड़ रुपये से ज्यादा रहा, जिसमें फ्रोजन झींगा का हिस्सा सबसे ज्यादा है.

    ब्लू रिवॉल्यूशन को लेकर हो रही कई पहल

    भारत सरकार ने ब्लू रिवॉल्यूशन के तहत मछली पालन को "सनराइज सेक्टर" (sunrise sector) घोषित किया है. वित्तीय वर्ष 2024 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मछली पालन क्षेत्र (Aquaculture Industry) के लिए 20,000 करोड़ रुपये आवंटित किए. यह राशि मछली पालन केंद्रों, कोल्ड स्टोरेज, और प्रोसेसिंग यूनिट्स के आधुनिकीकरण के लिए उपयोग की जाएगी. इसके अलावा, मछली और झींगा फीड के उत्पादन में उपयोग होने वाले कई कच्चे माल पर सीमा शुल्क को घटाकर 5 परसेंट कर दिया गया है.

    मछली पालन के प्रकार

    मछली पालन के कई प्रकार हैं, जो उनकी संरचना और तकनीक के आधार पर अलग-अलग होते हैं:

    1. पॉन्ड सिस्टम: पारंपरिक विधि, जिसमें मछलियों को मीठे पानी के तालाबों में पाला जाता है.

    2. केज सिस्टम: इसमें मछलियों को जालों में रखा जाता है, जो समुद्र या झीलों के पानी में होते हैं.

    3. रिसर्कुलेटिंग सिस्टम: यह आधुनिक तकनीक है, जिसमें पानी को फिल्टर और रीसायकल किया जाता है.

    4. इंटीग्रेटेड मल्टीट्रोफिक एक्वाकल्चर (IMTA): इसमें अलग-अलग लेवल के पानी में रहने वाले जीवों को एक साथ पाला जाता है.

    मछली पालन (फोटो क्रेडिट- AFP)

    मछली पालन कैसे शुरू करें?

    अब अगर आप सोच रहे हैं कि आप मछली पालन बिजनेस कैसे शुरू आकर सकते हैं, इसके लिए आप कुछ जरूरी कदम उठा सकते हैं: 

    • सबसे पहले इस इंडस्ट्री को लेकर रिसर्च करें और एक योजना बनाएं. बाजार की मांग, पसंदीदा मछली की प्रजातियों और कानूनी जरूरतों को लेकर अपनी जानकारी को और भी बेहतर करें. 
    • दूसरा काम, ऐसी जगह चुनें, जहां साफ पानी और मछलियों की जरूरतों के हिसाब से पर्यावरण उपलब्ध हो.
    • मछलियों का चुनाव सोच समझकर करें. टिलापिया, कैटफिश, और सैल्मन जैसी प्रजातियां तेजी से बढ़ती हैं और इनकी बाजार में अधिक मांग होती है.
    • लाइसेंस और परमिट को लेकर जानकारी इकट्ठा करें. FSSAI लाइसेंस और दूसरे जरूरी डॉक्यूमेंट पहले से तैयार रखें.
    • आपको इस बिजनेस को शुरू करने से पहले एक बजट और उसे लेकर फंडिंग चाहिए होगी. इस पूरे बिजनेस को शुरू करने और चलाने में कितनी लागत आएगी इसका आकलन करें और जरूरत पड़ने पर बैंक या एनबीएफसी से लोन लें.
    • उपज के लिए अच्छी जगह से मछली का बीज खरीदें. साथ ही नियमित रूप से पानी की गुणवत्ता की जांच करें. 
    • सही फीडिंग और रोग प्रबंधन पर ध्यान दें. और फिर अपने बिजनेस को बढ़ावा देने और ग्राहकों तक पहुंचने के लिए अच्छी मार्केटिंग अपनाएं.  

    मछली पालन में निवेश की लागत

    मछली पालन शुरू करने के लिए निवेश की लागत कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे क्षेत्र का आकार, स्थान, और उपकरण. अनुमानित लागत टेबल में दी गई है. (सोर्स: Hero FinCorp)

    काम

    लागत

    जमीन का विकास या निर्माण

    ₹5,000 से ₹2,00,000

    मछली बीज

    ₹10,000 से ₹50,000

    मछली का खाना और पोषण

    ₹20,000 से ₹1,00,000

    महीने का खर्च

    ₹10,000 से ₹50,000 प्रति माह

    उपकरण की लागत

    ₹15,000 से ₹1,00,000

    मासिक रखरखाव

    ₹5,000 से ₹20,000

    मछली पालन एक ऐसा बिजनेस है, जो सही योजना और मैनेजमेंट के साथ काफी फायदा दे सकता है. भारत के किसानों के लिए यह रोजगार और आर्थिक विकास का एक बड़ा साधन बन सकता है.


     

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