गाय-भैंस के बच्चा देने के दौरान अक्सर छोटी-छोटी कुछ ऐसी बातें होती हैं जिनका खासतौर पर बहुत ख्याल रखना पड़ता है. इसी में से एक है जेर का गिरना. हालांकि कुछ घंटे की ये एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. लेकिन अक्सर पशुपालकों की कुछ लापरवाही के चलते ये इतनी जटिल हो जाती है कि गाय-भैंस में संक्रमण फैलने का खतरा बन जाता है. ऐसे में फौरन ही पशु चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए. एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि जेर का मामला बिगड़ने पर ही नहीं, जेर गिरने का एक वक्त होता है अगर उस वक्त तक जेर ना गिरे तो बिना देर किए गाय-भैंस को चिकित्सक को दिखा लेना चाहिए.
क्योंकि इस मामले में देर करने का मतलब होता है परेशानी को और बढ़ा करना. गौरतलब रहे बच्चेदानी के अंदर जिस थैली में बच्चा रहता है वो बच्चे के जन्म के साथ फट जाती है. और जब गाय-भैंस बच्चा दे देती है तो उसके तीन से आठ घंटे में जेर खुद ही बाहर निकल आती है और गिर जाती है. लेकिन कई बार जेर 12 से 15 घंटे बाद भी नहीं गिरती है. इसकी को जेर का रुकना या फंसना कहते हैं.
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जेर रुकने-फंसने के ये हैं प्रमुख कारण
- भैंस के समय से पहले बच्चा देना की वजह से.
- गाय-भैंस का गर्भपात होने के चलते.
- खुराक में कैल्शियम की कमी होने पर.
- भैंस को संतुलित खुराक ना मिलने पर बच्चे का कमजोर होना.
- गर्भ में पल रहे बच्चे का आकार काफी बड़ा होने पर.
जेर रुकने पर याद रखें ये खास बातें
- जेर रूकने पर गाय-भैंस को साफ जगह बांधना चाहिए.
- जेर बाहर आने पर भैंस जमीन पर बैठती है तो उसके साथ गंदगी लग जाती है.
- कई बार जेर के साथ लगी गंदगी की वजह से गर्भाशय में संक्रमण हो जाता है.
- जब तीन से छह घंटे बाद जेर ना गिरे तो पशु चिकित्सक की सलाह लें.
- जेर हमेशा 24 घंटे बाद ही डाक्टर से निकलवानी चाहिए.
- 24 घंटे बाद जेर की पकड़ गर्भाशय से कमजोर पड़ जाती है.
- निकालने से पहले, भैंस का पिछला हिस्सा, जेर साबुन और साफ पानी से धो लें.
- जेर निकलवाने में आधा घंटे से अधिक का समय नहीं लगना चाहिए.
- जेर निकालते समय हाथ साफ और नाखून कटे होने चाहिए.
- डाक्टर से भी जेर पूरी नहीं निकले तो उस पर जोर नहीं डालें.
- कई बार अंदर चिपकी जेर अपने आप थोड़ी-थोड़ी कटकर बाहर आती रहती है.
- जेर निकालने के बाद डाक्टर से बच्चेदानी में उचित गोलियां रखवा लें.
- बच्चेदानी में रखी जाने वाली गोलियां तीन से पांच दिन रखवाएं.
- जेर रूक जाए तो उस पर ईट-पत्थर नहीं बांधे.
- जेर पर ईट-पत्थर बांधने से बच्चेदानी पलट सकती है.
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