बकरी को अक्सर 'गरीबों का एटीएम' कहा जाता है, क्योंकि यह ग्रामीण एवं शहरी गरीब परिवारों के लिए एक स्थायी आय का साधन है. इसी को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ चला रही है और इस क्षेत्र में लोगों को जोड़ने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करती है. इसी कड़ी में राज्य सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा गोट फेडरेशन, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, और पशु हाट जैसी योजनाओं को लागू करने की तैयारी की जा रही है, जिससे बकरी पालन को व्यवसायिक रूप में विकसित किया जा सके.
बकरी पालन को संगठित करने और इसे एक सफल व्यवसाय के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से पटना के होटल लेमन ट्री में 'बकरी पालन प्रबंधन एवं मूल्यवर्धन' विषय पर राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित की गई. इस कार्यशाला में पशुपालन निदेशालय के साथ-साथ विभाग की सचिव एवं अपर मुख्य सचिव डॉ. एन. विजयलक्ष्मी ने बकरी पालन से संबंधित योजनाओं और भविष्य की योजनाओं के बारे में जानकारी दी.
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डॉ. एन. विजयलक्ष्मी ने बताया कि बकरी पालन को व्यवसाय के रूप में विकसित करने के लिए संस्थागत क्षमताओं को बढ़ाने की जरूरत है. इस दिशा में विभाग बकरीपालन व्यवसाय को संगठित रूप देने हेतु गोट फेडरेशन बनाए जाने एवं बकरीपालन में गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण, प्रत्यक्षण एवं अन्य विकासात्मक गतिविधियों हेतु सेंटर ऑफ एक्सेलैस की स्थापना को लेकर विचार कर रही है. बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शीघ्र ही गोट सीमेन स्टेशन का निर्माण कार्य प्रारम्भकराया जाएगा. पशुधन क्रय विक्रय को सुगम बनाने हेतु पशु हाट बनाने पर भी विचार किया आ रहा है.
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बिहार सरकार की पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री रेणु देवी ने बताया कि बकरी पालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. राज्य सरकार समेकित बकरी एवं भेड़ विकास योजना के तहत बकरी फार्म की स्थापना पर 50-60% तक अनुदान देकर स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है. साथ ही, बकरियों की नस्ल सुधारने के लिए कृत्रिम गर्भाधान को बढ़ावा देने हेतु 'गोट सीमेन स्टेशन' की योजना को मंजूरी दी गई है.
अपर मुख्य सचिव डॉ. एन. विजयलक्ष्मी और कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों को बैंकों से लोन लेने में कई समस्याएँ होती हैं, जिनमें सबसे बड़ी समस्या सिविल स्कोर सही न होना है. कई बार किसान क्रेडिट लोन लेने के बाद समय पर भुगतान नहीं कर पाते, जिससे उनके लोन की स्वीकृति में दिक्कतें आती हैं. इस समस्या को हल करने के लिए सरकार एक सॉफ्टवेयर विकसित कर रही है.जिसमें बैंक से लोन लेने को लेकर पूरी जानकारी रहेगी.