देश ही नहीं विदेशों में भी भारतीय बकरों के मीट के शौकीन हैं. खासतौर पर अरब देशों में भारतीय बकरों का मीट बहुत पंसद किया जाता है. गोट एक्सपर्ट की मानें तो अरब देशों में ब्लैक बंगाल और बरबरी नस्ल के बकरों का मीट बहुत पसंद किया जाता है. कतर में फीफा वर्ल्ड कप के दौरान तो ब्लैक बंगाल बकरे ही एक्सपोर्ट हुए थे. इतना ही नहीं भारतीय बाजारों में भी इन बकरों की बहुत डिमांड रहती है. भैंस के मीट के मुकाबले बकरे का मीट थोड़ा महंगा होता है इसलिए इसकी एक्सपोर्ट मात्रा कम है, लेकिन 10 बड़े खरीदार भारत से बकरे का मीट खरीदते हैं. खाड़ी देशों में तो जिंदा बकरे भी बड़ी संख्यात में एक्ससपोर्ट होते हैं.
एक्सपर्ट का तो ये भी कहना है कि अभी खुरपका-मुंहपका बीमारी के चलते बहुत सारे देश चाहते हुए भी भारत से बकरे का मीट नहीं खरीदते हैं. लेकिन जल्द ही इस परेशानी के दूर होने के बाद बकरों और उनके मीट एक्सपोर्ट का आंकड़ा बढ़ जाएगा.
एपीडा के आंकडे बताते हैं कि भारत से एक्सेपोर्ट होने वाले भेड़-बकरे के मीट के सबसे बड़े खरीदारों में खाड़ी के देश हैं. टॉप-5 के देश में यूएई, कतर, ओमान, सऊदी अरब और कुवैत हैं. इसके अलावा मालदीव और बहरीन भी हर साल 200 टन से ज्या दा मीट खरीदने वालों की लिस्टअ में शामिल हैं.
सीआईआरजी के मुताबिक देश में बकरे और बकरियों की 40 से ज्यादा नस्ल हैं. इसमे सात ऐसी नस्ल हैं जो खासतौर पर दूध के लिए पाली जाती हैं. वहीं पांच खास नस्लक के बकरों को देश ही नहीं विदेशों खासतौर पर खाड़ी देशों में बहुत पसंद किया जाता है. इसमे से ब्लैक बंगाल (पश्चिम बंगाल), बीटल (पंजाब) और बरबरा (यूपी) नस्ल का बकरा बेहद पसंद किया जाता है. एक्सपपर्ट बताते हैं कि ये तीनों ही वो नस्लं हैं जिसके बकरे छरहरे और ठोस होते हैं.
इनके अंदर चर्बी (वसा) की मात्रा कम होती है. इसके अलावा जमनापरी (यूपी) और जखराना (अलवर) नस्लए के बकरों को भी मीट के लिए बहुत पसंद किया जाता है. हमारे देश में ब्लैक बंगाल नस्ल के बकरे 3.75 करोड़, जखराना 6.5 लाख, बीटल-12 लाख, बरबरी-47 लाख और जमनापरी नस्लर के बकरे-बकरी 25.50 लाख हैं. केन्द्री य पशुपालन मंत्रालय के मुताबिक देश में देश में बकरे और बकरियों की कुल संख्या 15 करोड़ है.
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