Dairy Business Ideas: डेयरी फार्मिंग के लिए देसी या विदेशी कौन सी नस्ल है बेहतर, जानें इसके पीछे का गणित 

Dairy Business Ideas: डेयरी फार्मिंग के लिए देसी या विदेशी कौन सी नस्ल है बेहतर, जानें इसके पीछे का गणित 

भारत में डेयरी फार्मिंग के लिए देसी या विदेशी नस्ल कौन सी बेहतर है? इस कड़ी में जानिए दोनों नस्लों के फायदे-नुकसान, दूध उत्पादन, रख-रखाव और व्यवसायिक संभावनाओं का पूरा गणित. डेयरी व्यवसाय की सफलता के लिए सही नस्ल चुनना बेहद जरूरी है.

Which breed to choose for dairy businessWhich breed to choose for dairy business
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Aug 19, 2025,
  • Updated Aug 19, 2025, 12:20 PM IST

भारत जैसे कृषि प्रधान देश में जहां खेती-किसानी ग्रामीण इलाकों के लोगों की आय का अहम हिस्सा है, वहीं पशुपालन भी उनके लिए बेहद जरूरी है. खासकर छोटे और सीमांत किसान जिनके पास ज्यादा जमीन नहीं है और वे खेती करने में सक्षम नहीं हैं, वे आज भी पशुपालन करके अपना जीवन यापन कर रहे हैं. पशुपालन में बढ़ती संभावनाओं को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा किसान इस ओर रुख करते नजर आ रहे हैं. आपको बता दें कि आज के समय में डेयरी फार्मिंग सबसे सफल व्यवसायों में से एक है. इस व्यवसाय को कम से कम जगह और कम लागत में शुरू किया जा सकता है. लेकिन यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि आप पशुओं की सही नस्ल का चुनाव करें. यहां यह सवाल भी उठता है कि क्या देसी या विदेशी नस्ल का चुनाव करना सही होगा. ऐसे में अगर आप भी अपना डेयरी फार्म खोलना चाहते हैं, तो यह खबर आपके लिए है.

1.देसी नस्ल की गायों की खासियत

भारत में पाई जाने वाली देसी नस्लों की गायें जैसे साहीवाल, गिर, राठी, थारपारकर, आदि जलवायु के लिहाज से देशी परिस्थितियों के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं.

देसी गाय के फायदे:

  • देसी गायें कम चारा खाकर भी ठीक-ठाक दूध देती हैं.
  • इनका रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होता है.
  • ये स्थानीय मौसम के अनुसार आसानी से ढल जाती हैं.
  • देसी गाय का दूध A2 प्रोटीन से भरपूर होता है, जो सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है.
  • इनकी देखभाल और रख-रखाव का खर्च कम आता है.

कमियां:

  • दूध उत्पादन विदेशी नस्लों की तुलना में थोड़ा कम होता है.

2.विदेशी नस्ल की गायों की खासियत

विदेशी नस्लों जैसे होल्स्टीन फ्रिजियन (HF), जर्सी आदि को विशेष रूप से अधिक दूध उत्पादन के लिए पाला जाता है. इन्हें भारत में भी पाला जा रहा है.

विदेशी नस्ल के फायदे:

  • बहुत अधिक मात्रा में दूध देती हैं (10-20 लीटर या उससे ज्यादा प्रतिदिन).
  • व्यवसायिक स्तर पर अधिक लाभदायक हो सकती हैं.

कमियां:

  • इन्हें ठंडी जलवायु की जरूरत होती है, इसलिए गर्मी में इनको विशेष देखभाल चाहिए.
  • जल्दी बीमार पड़ जाती हैं और इलाज महंगा होता है.
  • इनकी देखरेख और चारे पर ज्यादा खर्च आता है.
  • भारतीय मौसम में हमेशा टिक नहीं पातीं.

3.देसी बनाम विदेशी नस्ल- किसे चुनें?

  • यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी भौगोलिक स्थिति, बजट और व्यवसायिक लक्ष्य क्या हैं.
  • अगर आप कम लागत में, कम जोखिम पर स्थायी व्यवसाय करना चाहते हैं, तो देसी नस्ल एक बेहतर विकल्प है.
  • अगर आपके पास ठंडी जगह, पर्याप्त संसाधन और बड़ी मात्रा में निवेश करने की क्षमता है, तो विदेशी नस्ल भी मुनाफा दे सकती है.

4.क्या हाइब्रिड नस्लें एक विकल्प हो सकती हैं?

जी हां, आजकल देसी और विदेशी नस्लों को मिलाकर तैयार की गई हाइब्रिड नस्लें जैसे कि क्रॉसब्रीड जर्सी या HF क्रॉस भी डेयरी फार्मिंग के लिए अच्छा विकल्प बन रही हैं. इनमें देसी नस्लों की सहनशक्ति और विदेशी नस्लों का दूध उत्पादन दोनों शामिल होता है.

डेयरी फार्मिंग में सफलता के लिए जरूरी है कि आप नस्ल का चुनाव सोच-समझकर करें. अगर आप लंबे समय तक टिकाऊ और स्वास्थ्य के अनुकूल व्यवसाय करना चाहते हैं, तो देसी नस्ल आपके लिए बेहतर हो सकती है. वहीं यदि आप तेजी से अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं और प्रबंधकीय संसाधन अच्छे हैं, तो विदेशी नस्ल भी एक विकल्प हो सकती है.

MORE NEWS

Read more!