Success Story : क‍िसानों की एक्स्ट्रा कमाई का जरिया बना गोबर, जान‍िए कैसे बदली ज‍िंदगी 

Success Story : क‍िसानों की एक्स्ट्रा कमाई का जरिया बना गोबर, जान‍िए कैसे बदली ज‍िंदगी 

छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना के जरिये किसान गोबर बेचकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. कई किसानों ने इसे बेचकर जमीन तक खरीद ली है. इस योजना से राज्य के 3 लाख 58 हजार से ज्यादा किसानों को लाभ हो रहा है. क‍िसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है. 

 गोधन न्याय योजना से किसानों को हो रहा है लाभ गोधन न्याय योजना से किसानों को हो रहा है लाभ
आशुतोष गुप्ता
  • Raipur,
  • Aug 07, 2023,
  • Updated Aug 07, 2023, 4:20 PM IST

छत्तीसगढ़ में गोबर अब कचरा या गंदगी नहीं, बल्कि क‍िसानों की अतिरिक्त कमाई का जरिया भी बन चुका है. प्रदेश सरकार की फ्लैगशिप स्कीम गोधन न्याय योजना गौपालकों एवं किसानों के लिए गेमचेंजर साबित हो रही है. यहां के किसान गोबर बेचकर सफलता की नई कहानी लिख रहे हैं. छत्तीसगढ़ में अब गोबर बेचकर किसी ने पढ़ाई के लिए लैपटॉप खरीद ल‍िया है तो किसी ने खेतीबाड़ी के लिए पैसे जुटाए हैं तो किसी ने जमीन खरीदने का सपना पूरा किया. इस योजना से राज्य के 3 लाख 58 हजार से ज्यादा किसानों को लाभ हो रहा है. राज्य के किसानों और पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने के लिए 20 जुलाई, 2020 को गोधन न्याय योजना की शुरुआत की गई थी. 

इसी क्रम में गोधन न्याय योजना से धमतरी जिले के ग्राम पोटियाडीह के यादव परिवार के जीवन शैली में भी काफी बदलाव आया. मोहित राम यादव ने बताया कि गोधन न्याय योजना शुरु होने से पहले घर के मवेशियों के गोबर का कोई हिसाब-किताब नहीं था, न ही गोबर एकत्र करने में कोई खास रुचि थी. पहले गोबर को फेंक दिया जाता था. मगर गोधन न्याय योजना शुरू होने से मवेशियों के गोबर का महत्व अधिक बढ़ गया है, अब गौठान में नियमित रूप से वह गोबर बेच रहे हैं और 15 दिन के भीतर उनके बैंक खाते में पैसे भी आ रहे हैं. जिससे उनकी आमदनी अच्छी हो रही है एवं आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हो रहा है. उन्होंने गोबर से शुरू हुई आय से जमीन खरीदने के सपने को भी पूरा कर लिया. अब उनकी खुद की जमीन हो गई है, जहां वह गौपालन कर रहे हैं.

3 लाख से ज्यादा किसानों को मिला फायदा 

राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, गोधन न्याय योजना से 3 लाख 58 हजार से ज्यादा किसानों को लाभ हो रहा है. 17 हजार 834  स्व-सहायता समूहों के 2 लाख 9 हजार 750 सदस्यों को इस योजना से आजीविका मिल रही है. इस योजना ने माताओं और बहनों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाकर उनका आत्मविश्वास मजबूत किया है. प्रदेश में 10 हजार 327  गौठान स्वीकृत किए गए है, जिनमें से 10 हजार 263 गौठानों को निर्माण पूरा हो चुका है, यानि 99.38  फीसदी गौठानों का निर्माण कर लिया गया है.

गौठानों द्वारा स्वयं की राशि से गोबर की खरीदी की जा रही है. अभी तक 5 हजार 960  स्वावलंबी गौठानों द्वारा 66 करोड़ 96 लाख रुपए के गोबर की खरीदी की जा चुकी है. गोधन न्याय योजना मे अभी तक कुल 125.54 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है. इसकी एवज में 251 करोड़ रुपए का भुगतान गोबर विक्रेताओं को किया जा चुका है. इसी तरह गौठान समितियों और महिला स्व-सहायता समूहों को 257 करोड़ 29 लाख रूपए का भुगतान किया जा चुका है.

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क्या है गोधन न्याय योजना

छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना की शुरुआत 20 जुलाई, 2020 को हुई. राज्य के किसानों और पशुपालकों की अतिरिक्त आमदनी को बढ़ाने के लिए यह योजना शुरू की गई है. इस योजना के तहत राज्य में जो भी किसान गाय पालता है, उससे दो रुपये प्रति किलो के हिसाब से गोबर खरीदा जाता है. इस योजना से उनकी आय में वृद्धि होती है. सरकार इस गोबर का इस्तेमाल वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए करती है. यह खाद ऑर्गेनिक होता है. तैयार खाद को कोई भी किसान या व्यक्ति सरकारी केंद्रों के जरिये खरीद सकता है. जहां इसकी दर आठ से दस रुपये प्रति किलो होती है. 

खाते में आता है पैसा

इस योजना के तहत सभी लाभार्थियों को उनकी धनराशि सहकारी बैंक के जरिये डायरेक्टर बेनेफिट ट्रांसफर के माध्यम से सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर किये जा रहे हैं. डीबीटी के लिए जरूरी है कि आवेदक का बैंक खाता होना चाहिए और वो आधार नंबर से भी जुड़ा हुआ हो. इस योजना से किसानों को अच्छा लाभ मिल रहा हैं.

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