केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा ऐसे ही साइंटीफिक तरीके से बकरी पालन करने की सलाह नहीं देता है. इसके पीछे कई बड़े तर्क हैं. साथ ही ये तरीका बकरी पालन में और ज्यादा मुनाफा कमाने का रास्ता भी तय करता है. साइंटीफिक तरीके से बकरी पालन कैसे किया जाए इसके लिए सीआईआरजी ने कई सारी बातों को लेकर एडवाइजरी भी जारी की है. साथ ही समय-समय पर उसके साइंटिस्ट भी बताते हैं कि नए तरीके से बकरी पालन करते हुए उसे ज्यादा मुनाफा देने वाला कैसे बनाया जा सकता है. क्योंकि बकरी के बच्चों से ही ज्यादा मुनाफा होता है तो सबसे ज्यादा बात भी उन्हीं की होती है.
इसी को ध्यान में रखते हुए ही साइंटिस्ट सलाह देते हैं कि बकरी से बच्चे कब पैदा कराए जाएं. गोट एक्सपर्ट का कहना है कि बकरी के बच्चों की सबसे ज्यादा मौत पैदा होते ही मौसम के चलते होती है. जैसे भीषण गर्मी या कड़ाके की ठंड पैदा होने वाले बच्चे के लिए कई परेशानियां खड़ी कर देती है. इसलिए साइंटिस्ट सलाह देते हैं कि साल में दो बार अप्रैल से जून और अक्टूबर से नवंबर में बकरियों को गाभिन कराया जाए.
गोट एक्सपर्ट और सीआईआरजी के साइंटिस्ट डॉ. एमके सिंह का कहना है कि बकरी के बच्चों के लिए मौसम सबसे बड़ा दुश्मन होता है. भीषण गर्मी और कड़ाके की ठंड बहुत नुकसान पहुंचाती है. इसलिए मौसम को देखते हुए यह जरूरी हो जाता है कि बकरियों से बच्चा कब पैदा कराया जाए. जैसे नॉर्थ इंडिया में बकरियों के बच्चों में सबसे ज्यादा मृत्यु दर देखी गई है. क्योंकि यहां गर्मी और सर्दी के मौसम में बड़ा उलटफेर होता है. इसलिए ये जरूरी हो जाता है कि 15 अप्रैल से 30 जून तक बकरी को गाभिन करा लिया जाए. वहीं उससे आगे की बात करें तो अक्टूबर और नवंबर में बकरी को गाभिन कराना चाहिए.
ऐसा करने से जो बकरी अप्रैल से जून तक गाभिन हुई है वो अक्टूरबर-नवंबर में बच्चा दे देगी. वहीं जो अक्टूबर-नवंबर में गाभिन हुई है वो फरवरी-मार्च में बच्चा देगी. मौसम के हिसाब से यह वो महीने हैं जब ना तो ज्यादा गर्मी होती है और ना ही ज्यादा सर्दी. मौसम के लिहाज से इन महीनों में बकरी के बच्चों को कोई तकलीफ नहीं होगी. बकरी पालन के लिहाज से यह वो महीने हैं जब बकरी के बच्चों को वजन तेजी से बढ़ता है.
डॉ. एमके सिंह के मुताबिक अब यह कोई जरूरी नहीं है कि बकरी को गर्भवती कराने के लिए उसकी मीटिंग बकरे के साथ कराई जाए. आर्टिफिशल इंसेमीनेशन तकनीक से भी बकरी को गाभिन कराया जा सकता है. इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसकी मदद से आप अपनी पसंद और जरूरत के हिसाब से भी बच्चा पैदा करवा सकते हैं.
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