तालाब में बत्तख पालकर मछलियों को दे सकते हैं फ्री खुराक, जानें कैसे

तालाब में बत्तख पालकर मछलियों को दे सकते हैं फ्री खुराक, जानें कैसे

नॉर्थ इंडिया में रोहू, कतला, नारेन (नैनी) खासी पसंद की जाती है. यह शाकाहरी मछली हैं. जबकि लांची, सोल और मांगुर मांसाहारी मछली हैं. यह मच्छरों का लार्वा भी बड़े चाव से सफाचट कर जाती हैं.

मछलियों के तालाब का प्रतीकात्मक फोटो. मछलियों के तालाब का प्रतीकात्मक फोटो.
नासि‍र हुसैन
  • Noida ,
  • Dec 26, 2022,
  • Updated Dec 26, 2022, 1:35 PM IST

 मुर्गियां हों या बकरी और मछली, सबकी खुराक का खास ख्याल रखना होता है और उस पर अच्छा खासा खर्च भी करना होता है. लेकिन छोटी-छोटी बातों से आप खुराक यानि खाने के खर्च को कम कर सकते हैं. खासतौर से तालाब में पाली जाने वाली मछलियों को आप फ्री की खुराक भी खिला सकते हैं. लेकिन यह इस पर निर्भर करता है कि आपने तालाब में किस नस्ल  की मछलियां पाली हुई हैं. क्योंकि हर एक मछली की अपनी अलग तरह की खुराक होती है.
  
नॉर्थ इंडिया में रोहू, कतला, नारेन (नैनी) खासी पसंद की जाती है. यह शाकाहरी मछली हैं. जबकि लांची, सोल और मांगुर मांसाहारी मछली हैं. यह मच्छरों का लार्वा भी बड़े चाव से सफाचट कर जाती हैं. नॉर्थ इंडिया की मछली डिमांड को बड़ी मात्रा में आंध्रा प्रदेश पूरी करता है. हालांकि इस इलाके में तालाब में मछली पालन भी खूब होने लगा है. जो स्थानीय बाजारों के साथ-साथ आसपास के शहरों में भी मछली की डिमांड पूरी करते हैं.

चावल और सरसों की खल दी जाती है खाने में

आगरा, यूपी में मछली पालन करने वाले शरीफ बताते हैं, आप तालाब में किसी भी नस्ल की मछली का जीरा साइज या फिर फिंगर साइज बीज डाल रहे हैं, लेकिन खाने के लिए आप शुरुआत में चावल और सरसों की खल (मस्टर्ड केक) ही देंगे. इसके अलावा तालाब तैयार करते वक्त भी उसमे उनकी खुराक डाली जाती है. इसके अलावा अगर मछली शाकाहारी है तो तालाब में उगने वाली काई (मोस) को भी खाती है. अगर आपकी मछली मांसाहारी है तो फिर तमाम ऐसी खुराक हैं जो कम पैसों में आती हैं. जिन्हें मांसाहारी मछली बड़े ही चाव से खाती हैं. इस तरह का दाना बाजार में खराब मक्का, बाजरा के साथ मिलाकर बेचा जाता है.

बत्तख और मुर्गे-मुर्गी की बीट भी दे सकते हैं

मछली पालक शरीफ की मानें तो अगर आपकी मछली मांसाहारी है तो तालाब में मछली के साथ बत्तख भी पाल सकते हैं. पानी में रहने के दौरान बत्तख बीट भी तालाब में ही करती है. जिसे तालाब की मछलियां खा जाती हैं. पोल्ट्री फार्म से मुर्गे और मुर्गियों की बीट लाकर भी तालाब में डाली जा सकती है. इसके अलावा कुछ देर के लिए भैंसों को भी तालाब में छोड़ सकते हैं. मछलियां गोबर भी खाती हैं. 

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