पशुओं की एक बीमारी ऐसी भी है जिसने देश ही नहीं दुनियाभर के पशुपालकों के सामने परेशानी खड़ी कर दी है. इस बीमारी के लगते ही पशुओं से लेकर पशुपालक और सरकार तक को नुकसान उठाना पड़ता है. वहीं जो ग्राहक पशु उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं उनकी भी जाने जोखिम में बनी रहती है. इस बीमारी का नाम है खुरपका-मुंहपका (एफएमडी). ये बीमारी खासतौर पर छोटे-बड़े सभी दूध देने वाले पशुओं में होती है. इसके चलते डेयरी प्रोडक्ट तो प्रभावित होते ही हैं, साथ में भैंस और भेड़-बकरी के मीट पर भी इसका असर पड़ता है.
यही वजह है कि केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के मुताबिक इस बीमारी के चलते हर साल करीब 24 हजार करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है. हाल ही में पशुओं के टीकाकरण से जुड़े एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने ये आंकड़ा बताया था. साथ ही ये जानकारी भी दी कि साल 2030 तक इस बीमारी पर कंट्रोल पा लिया जाएगा.
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एनिमल एक्सपर्ट एमके सिंह का कहना है कि एफएमडी जानलेवा बीमारी है. अगर ये बीमारी होने पर पशुओं की ठीक से देखभाल ना की जाए. बीमारी की रोकथाम के लिए जरूरी कदम नहीं उठाय जाएं तो पशु की मौत तक हो जाती है. संक्रमण रोग होने के चलते पशु शेड के दूसरे पशुओं पर भी इसका खतरा बना रहता है. इसके साथ ही पशु को ये बीमारी होने पर उत्पादन भी घट जाता है. कम दूध उत्पादन होने पर लागत भी बढ़ जाती है. क्योंकि अभी हमारा देश एफएमडी फ्री घोषित नहीं हुआ है तो डेयरी प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट भी उस मात्रा में नहीं हो पाता है जितना दूध का उत्पादन है.
मीट एक्सपोर्टर आबिद रहमान का कहना है कि दुनिया का ऐसा कौनसा देश है जहां भारत का बफैलो मीट पसंद नहीं किया जाता है. बहुत सारे ऐसे देश हैं खासतौर पर यूरोपियन वो बफैलो मीट खरीदना चाहते हैं, लेकिन पशुओं में एफएमडी और ब्रूसोलिसिस बीमारी के चलते नहीं खरीदते हैं. अगर देश एफएमडी फ्री घोषित हो जाता है तो फिर मीट एक्सपोर्ट भी दोगुनी रफ्तार से बढ़ने लगेगा.
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हाल ही में पशुओं के टीकाकरण को लेकर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इस दौरान केन्द्रीय मंत्री राजीव रंजन समेत मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री प्रो एसपी सिंह बघेल और विभाग की सचिव अलका उपाध्याय, वर्षा जोशी, ओपी चौधरी, एनिमल हसबेंडरी कमिश्नर अभिजीत मित्रा भी मौजूद थे. इस मौके पर राजीव रंजन ने घोषणा करते हुए बताया कि देश में कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात में सीरो-सर्विलांस के आधार पर जोन बनाने की तैयारी चल रही है. इन राज्यों को इसलिए चुना गया है क्योंकि यहां एफएमडी टीकाकरण एडवांस स्टेज में है.