देश में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए देसी गायों के पालन पर जोर दिया जा रहा है. इसके लिए सरकार पशुपालन को लगातार बढ़ावा दे रही है. कुछ राज्यों में दूध की दर पर सब्सिडी भी दी जा रही है, जिसका फायदा दुधारू पशुपालकों को मिल रहा है. अधिक दूध पाने के लिए पशुपालक अच्छी नस्ल की गायों का चयन करते हैं. विदेशी गायों को पालना महंगा है और वे भारतीय जलवायु में सामान्य रूप से नहीं रह सकती हैं. साथ ही, उनमें बीमारियों आदि का खतरा भी अधिक होता है. ऐसे में पशुपालक देसी गायों के नस्ल का पालन कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
देसी नस्ल की गायों को पालना काफी आसान है और लागत भी कम है. देसी नस्ल की गायों का गोबर खेती में खाद के लिए काफी अच्छा माना जाता है. ऐसे में सरकार भी देसी नस्ल की गायों को पालने की बात कर रही है. जैविक खेती के लिए देसी गायों को पालना जरूरी है. देसी गायों की कई नस्लें हैं जो ज्यादा दूध देती हैं. इन्हीं में से एक है लाल सिंधी गाय जो रोजाना 20 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है.
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लाल सिंधी गाय को बलूचिस्तान का मूल निवासी माना जाता है. यह गाय की एक देशी नस्ल है जो अधिक दूध देने के लिए जानी जाती है. लाल सिंधी गाय के गुणों को देखते हुए अब इसे पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु समेत अन्य राज्यों में भी पाला जा रहा है. यहां के कई किसान इस देशी नस्ल को पाल कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
लाल सिंधी गाय की नस्ल एक ब्यांत में औसतन 1840 लीटर दूध देती है. ऐसे में इस नस्ल की गाय प्रतिदिन 12 से 20 लीटर दूध दे सकती है. लाल सिंधी गाय की प्रति ब्यांत में न्यूनतम दूध देने की क्षमता 1100 लीटर और अधिकतम 2600 लीटर होती है. इसके दूध में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है. इसके दूध में वसा की मात्रा 4.5 प्रतिशत होती है.
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