Animal Care: बरसात में गाय-भैंस को सबसे ज्यादा परेशान करती हैं चिचड़-मक्खी, ये करें उपाय

Animal Care: बरसात में गाय-भैंस को सबसे ज्यादा परेशान करती हैं चिचड़-मक्खी, ये करें उपाय

पशु शेड से काटने वाली मक्खियों और चिचड़ों को दूर भगाने के लिए प्राकृतिक मक्खी निरोधक नीम के तेल का नियमित इस्तेमाल किया जा सकता है. इससे रासायनिक जैसा बुरा प्रभाव पशु में नहीं होता और चिचड़-मक्खी प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित होने की आंशका भी खत्म हो जाती है. 

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Animal Care: बरसात में गाय-भैंस को सबसे ज्यादा परेशान करती हैं चिचड़-मक्खी, ये करें उपायपशुपालकों के लिए नई स्कीम लेकर आ रही सरकार (सांकेतिक तस्वीर)

वैसे तो बरसात (मॉनसून) के पूरे ही वक्त गाय-भैंस और भेड़-बकरी किसी ना किसी तरह की बीमारियों के चलते ही परेशान रहते हैं. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो इसमे संक्रमण फैलाने वाली बीमारियां ज्यादा होती हैं. इसके लिए चिचड़ और मच्छर-मक्खी बड़ी वजह होते हैं. इसके चलते पशु कई तरह की बड़ी बीमारियों के शि‍कार तो होते ही हैं, साथ में उत्पादन भी घट जाता है. पशुपालक के दूध की लागत बढ़ जाती है. कई बार तो इस तरह की बीमारियों के चलते पशुओं की मौत तक हो जाती है. 

चिचड़-मक्खी भी बरसात के दौरान इसी तरह से पशुओं पर बैठकर संक्रमण फैलाते हैं. एक्सपर्ट की मानें तो पशु शेड में ही कुछ छोटे-छोटे उपाय करके चिचड़-मक्खी के संक्रमण को रोका जा सकता है. इसके लिए जरूरी है कि इनकी पहचान की जाए और इनसे फैलने वाले संक्रमण के लक्षणों को पहचाना जाए. इस जानकारी के लिए गांव में ही मौजूद पशु स्वास्थ्य केन्द्र पर मौजूद स्टाफ से भी सलाह ली जा सकती है. 

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चिचड़ और मक्खी का प्रकोप 

चिचड़ से एनाप्ताज्मोसिस, थाइलेरियोसिस और बबेसियोसिस जैसी बीमारियां पशुओं में फैलने लगती हैं.  

काटने बाली मक्खियों से पशुओं को सर्रा बीमारी होने के साथ ही मियादी बुखार हो जाता है. 

पशु शेड में अगर इनकी संख्या ज्यादा हो तो संक्रमण के चलते पशुओं में खून की कमी हो जाती है. 

चिचड़ और काटने वाली मक्खियों से पशु तनाव में आ जाते हैं. 

चिचड़ और मक्खी पशुओं को जिस जगह पर काटते हैं वहां एलर्जी हो सकती है.

ये बड़ी संख्या में अण्डे देती हैं जिसके चलते इनकी संख्या लगातार बढ़ती रहती है. 

चिचढ़ पर नियंत्रण कैसे करें

किसी भी पशु को खरीदने के बाद उसे दूसरे पशुओं के साथ रखने से पहले चिचड़ रहित कर लें.

समय-समय पर चिचड़ों को मारने की दवा पशुओं पर लगानी चाहिए.

एक वयस्क चिचड़ करीब 3000 अंडे देती है. 

चिचड़ का लार्वा बिना भोजन के दो से सात महीने तक जिंदा रह सकता है.

चिचड़ दोबारा ना हो इसके लिए दवाई का इस्तेमाल पशु संग शेड की दीवार की दरारों में भी करें.

चिचड़ नाशक दवा को समय-समय पर प्रतिरोधक विकसित होने से रोकने के लिए बदलते रहना चाहिए.

पशुचिकित्सक से सही चिचड़ नाशक दवा और उसकी खुराक के बारे में सलाह जरूर लें.

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मक्खी नियंत्रण के कुछ उपाय

हर रोज गोबर और पशु मूत्र का सही जगह पर निपटारा करें. 

जहां गोबर और पशु मूत्र निपटारा करें वो गौशाला से दूर होनी चाहिए.

पशु शेड में गोबर-मूत्र के जमाव से बचना चाहिए.

खासतौर पर बरसात के मौसम में पशुओं के शेड में धुआं करना चाहिए. 

पशु शेड से चिचड़-मक्खी भगाने के लिए शाम के वक्त नीम की पत्तियां जलाएं. 

मक्खियों को भगाने वाले पदार्थ को एक्सपर्ट के मुताबिक सही मात्रा में इस्तेमाल करें.

पशुओं में दवा बालों की विपरित दिशा में लगानी बाहिए. 

दवा पूरे शरीर खासकर नीचे के हिस्सों और पैरों पर जरूर लगाएं.

 

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