अक्सर पशुपालक, पशुओं के कृत्रिम गर्भाधान (आर्टिफिशियल इंसेमेनिशन- AI) के लिए दफ्तरों-वेटनरी अस्पतालों के चक्कर लगाकर परेशान होते हैं. लेकिन असम में पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विभाग, असम पशुधन विकास एजेंसी (ALDA) की मदद से घर-घर जाकर गाय, भैंस, बकरी और सूअरों के कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा दी जा रही है. ऐसे में पशुपालकों को अब परेशान होने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इस सुविधा के तहत यह फील्ड पशु चिकित्सा अधिकारी या प्रशिक्षित एक्सपर्ट किसान को गाइड करेंगे और इसके लिए जानकारी देंगे. साथ ही विभाग प्रक्रिया के दौरान किसान की मदद करेगा.
असम में पशुओं के कृत्रिम गर्भाधान का काम मुख्य रूप से ALDA करता है. पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विभाग, असम के अंतर्गत पूरे राज्य में 1275 ग्रामीण कृत्रिम गर्भाधान केंद्र हैं, जो डेयरी किसानों की जरूरतों को पूरा करते हैं. राज्य के हर जिले में 30 से 70 कृत्रिम गर्भाधान (AI) केंद्र हैं. असम में कुल 15 फ्रोजन सीमेन बैंक (FSB) हैं. हर फ़्रोज़न सीमेन बैंक के अंतर्गत एक या दो जिलों को जोड़ा गया है. उदहारण के तौर पर बारापेटा FSBS में जमा किए गए वीर्य को खानापारा सेंट्रल FSB और नागांव FSB भेजा जाता है और अंत में फील्ड AI केंद्रों में भेजा जाता है.
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गायों के गर्भाधान के लिए बैल पालने की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे लागत बचती है. कृत्रिम गर्भाधारण जननांग में होने वाले कई रोगों और बांझपन के खतरे को रोकता है. एक अच्छी क्वालिटी वाले बैल के सीमेन से एक साथ 20 से 25 गायों का गर्भाधान कराया जा सकता है. वहीं, क्रॉस-ब्रीडिंग करने पर अच्छी क्वालिटी वाले और बेहतर जेनेटिक गुण वाले बछड़े हासिल किए जा सकते हैं.
असम में ALDA कृत्रिम गर्भाधान (AI) की सुविधा उपलब्ध कराने में कई उपलब्धियां हासिल कर चुका है और पशुधन विकास में बड़ी भूमिका निभा रहा है. ALDA ने राज्य में 300 केंद्रों में कृत्रिम गर्भाधान की शुरुआत करके मवेशी प्रजनन नेटवर्क को मजबूत किया है. ALDA ने 2004-05 में 15 जिलों को कवर करने वाले 7 फ़्रोज़न सीमेन बैंक (एफएसबी) की संख्या बढ़ाकर 2015-16 में 27 जिलों को कवर करने वाले 15 (एफएसबी) तक बढ़ाया है. ALDA ने असम कृषि विश्वविद्यालय की मदद से सीमांत किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए बकरी के कृत्रिम गर्भाधान की शुरुआत की. इसके अलावा ALDA एआई कार्यक्रम पर जन जागरूकता को बढ़ावा देने के साथ किसानों को बेहतर वैज्ञानिक सेवा देने के लिए विभाग में एआई वर्कर्स की क्षमता बढ़ा रहा है.