गर्भकाल के दौरान इंसान ही नहीं पशुओं को भी खास देखभाल की जरूरत होती है. गर्भकाल के दौरान जरा सी भी लापरवाही बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो पशु गर्भकाल के दौरान खासतौर पर उसके आवास और उसे दिन में तीन-चार बार दी जाने वाली खुराक में बहुत बदलाव करने की जरूरत होती है. अगर गर्भकाल के दौरान गाय-भैंस की खुराक अच्छी होगी तो उसका बच्चा भी हेल्दी होगा. वहीं दूसरी ओर अगर आवास में बदलाव किया जाएगा तो गर्भपात जैसी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा.
क्योंकि भैंस का गर्भकाल 310 से 315 दिन तक का होता है तो इस पूरे टाइम पशु को खास देखभाल की जरूरत होती है. और भैंस गर्भ से है या नहीं इसका पता हर 20-21 दिन में इस तरह से लगाया जा सकता है कि अगर वो हीट में नहीं आए तो समझ लें कि भैंस गाभिन हो चुकी है. अगर इसमे जरा भी शक हो तो एक बार नजदीकी पशु चिकित्सक से भी सलाह ले सकते हैं.
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एनिमल एक्सपर्ट डॉ. अरुण सिंह का कहना है कि जब भैंस गाभिन होती है तो उसे अपने भरण-पोषण के साथ-साथ गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए भी खुराक की जरूरत होती है. और खासतौर पर जब आखिरी तीन महीने चल रहे होते हैं तो गर्भ में पल रहे बच्चे की बढ़वार बहुत तेजी से होती है. और सबसे खास बात ये कि इसी महीने में भैंस अगली ब्यांत में दूध देने के लिए अपने को तैयार करती है. अगर इस दौरान खुराक देने में जरा सी भी ऊंच-नीच होती है तो उसका सीधा असर दूध उत्पादन पर पड़ता है. साथ ही भैंस और बच्चे को कई तरह की परेशानियां भी होने लगती हैं. इसलिए जरूरी है कि भैंस की खुराक में गर्भावस्था के समय 40-50 ग्राम खनिज लवण मिश्रण जरूर शामिल करना चाहिए.
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