Animal Care: बरसात में कैसा हो पशुपालन, बीमारी से बचाने को एक्सपर्ट ने दिए टिप्स, पढ़ें डिटेल 

Animal Care: बरसात में कैसा हो पशुपालन, बीमारी से बचाने को एक्सपर्ट ने दिए टिप्स, पढ़ें डिटेल 

Animal Care in Monsoon मॉनसून में पशुओं को बीमारी से सुराक्षि‍त रखने और पशुपालकों को नुकसान से बचाने के लिए सरकार योजनाएं चला रही है. ऐसी ही योजनाओं का फायदा पशुपालक उठा सकते हैं. यहां तक की गांव-कस्बों के पशु अस्पताल में भी इन योजनाओं का फायदा लिया जा सकता है. लेकिन जरूरी है कि पशुपालक पशुओं का बीमा और टैगिंग (रजिस्ट्रेशन) का काम जरूर कराएं. 

गर्मी में पशुओं का कैसे रखें खयालगर्मी में पशुओं का कैसे रखें खयाल
नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Jul 03, 2025,
  • Updated Jul 03, 2025, 4:31 PM IST

Animal Care in Monsoon मॉनसून यानि बरसात के दिनों को छोड़ दें तो पशुपालन में बहुत ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती है. लेकिन खासतौर पर बरसात के दिनों में देखभाल ज्यादा बढ़ जाती है. क्योंकि मॉनसून में पशुओं को गर्मी से तो राहत मिल जाती है, लेकिन संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. जिसके चलते पशुओं को कई बीमारियों से जूझना पड़ता है. साथ ही पशुपालक की लागत बढ़ने के साथ-साथ मेहनत भी बढ़ जाती है. लेकिन देखभाल के साथ ही अगर पशुओं को दिए जाने वाले चारा-पानी और वैक्सीन का खास ख्याल रखा तो संक्रमण फैलने से रोका जा सकता है. 

और खास बात ये है कि इसके लिए पशुपालक को कोई अलग से खर्चा भी नहीं करना है. इसमे कुछ काम तो ऐसे हैं जो सरकारी योजनाओं के तहत फ्री कराए जा सकते हैं. और ये उपाय अपनाकर पशुपालक दवाई का खर्च बचाकर लागत को भी कम कर सकता है. और दूध उत्पादन भी नहीं घटेगा. 

टिक और मक्खी की समस्या

टिक्स बरसात के मौसम में तेजी से बढ़ते और फैलते हैं. टिक्स पशुओं का खून चूसते हैं और एनीमिया बीमारी का कारण बनते हैं, जिसके चलते पशुओं की मौत तक हो जाती है. बरसात के मौसम में मक्खियों की संख्या भी बढ़ जाती है. ये पशुओं को परेशान करने के साथ ही जलन पैदा करती हैं. इसका पशुओं की उत्पादन और प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है.

थनैला बीमारी

दूध देने वाले मवेशियों में बरसात के मौसम में स्तनदाह (थनैला बीमारी) आम बात है. बरसात के मौसम में गीले, गंदे शेड और गीले-गंदे थनों से भी ये बीमारी फैलती है. इसके चलते दूध का उत्पादन कम और कभी भी बंद तक हो जाता है.

मॉनसून में बछड़ों की ऐसे करें देखभाल

बरसात के दिनों में बछड़ों को बाहर खुला नहीं छोड़ना चाहिए. एक्सपर्ट का कहना है कि बछड़ों में बीमारियों से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं होती है. बछड़ों के शरीर में पानी की मात्रा ज्यादा होती है और ठंड से उनका तनाव बढ़ जाता है. इसलिए बछड़ों को गर्मी दी जानी चाहिए, बछड़ों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दूध पिलाया जाना चाहिए. बछड़ों को ठंड के झटकों से बचाने के लिए कपड़े पहनाए जाने चाहिए. तीन महीने से ज्यादा उम्र के बछड़ों को कृमिनाशक दवा दी जानी चाहिए. छह महीने से ज्यादा उम्र के बछड़ों को बीक्यू और एचएस का टीका लगवाया जाना चाहिए.

एनिमल शेड में ऐसे करें देखभाल 

  • चारा और चारा सामग्री को जमीन से ऊंची जगह किसी प्लेटफॉर्म पर रखें. 
  • पशु के सभी तरह के चारे को बारिश और नमी से बचाकर रखें. 
  • खासतौर पर बरसात से पहले पशुओं का टीकाकरण करा लेना चाहिए.
  • बरसात के मौसम में पशुओं के लिए पीने का स्वच्छ और गर्म पानी होना चाहिए. 
  • पशुओं को खेत में जमा लाल पानी या कीचड़ वाला पानी नहीं पीने देना चाहिए.
  • दूषि‍त पानी पीने से गंभीर सर्दी, दस्त, ब्लैक क्वार्टर समेत कई बीमारियां हो सकती हैं. 
  • पशुओं को मानसून में खराब मौसम से बचाना चाहिए, वर्ना इसका असर उत्पादन पर पड़ता है. 
  • बारिश का पानी बैक्टीरिया को बढ़ाता है, जिससे बीमारियां होती हैं. 
  • बरसात के मौसम की शुरुआत से पहले, बीच में और आखि‍र में डी-वर्मिंग करानी चाहिए. 

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