सरहदी जिले जैसलमेर के सांवता गांव में भेड़-बकरी पालकों के घर मातम पसरा है. बीते दो महीने में गांव में करीब 300 भेड़-बकरियों की मौत हो चुकी है. ग्रामीणों का आरोप है कि पशुपालन विभाग को कई बार सूचना देने के बावजूद भेड़ों का इलाज नहीं हो पा रहा है. विभाग को बार-बार सूचना देने के बाद भी भेड़-बकरियों को वैक्सीन नहीं मिल रही.
सांवता रासला ग्राम पंचायत के अंतर्गत आता है. गांव के निवासी सुमेर सिंह से भेड़-बकरियों की मौत के संबंध में 'किसान तक' ने बात की.
उन्होंने बताया कि सांवता के अलावा आस-पास के भोपा, दीगसर, लक्ष्मणा और छोरिया गांव में बीते दो महीने से पशुओं में बीमारी फैल रही है. स्थानीय भाषा में इस बीमारी को तरड़िया कहते हैं.
पशुपालन विभाग पर आरोप लगाते हुए सुमेर ने कहा कि हम सब ग्रामीणों ने जैसलमेर पशुपालन विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर को बता चुके हैं. साथ ही फतेहगढ़ के नोडल अधिकारियों को भी सूचना दे चुके हैं, लेकिन निराशा ही हाथ लगी है.
सुमेर कहते हैं कि रासला ग्राम पंचायत में पशु चिकित्सक का पद काफी समय से खाली है. पद खाली होने से पशुओं का इलाज नहीं हो पाता. साथ ही उच्च अधिकारियों को बताने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही. सुमेर और अन्य ग्रामीणों ने बताया कि जब पशुपालन विभाग को बीमारी के बारे में बताया गया तो विभाग ने दवाईयां और वैक्सीन नहीं होने की बात कही.
सांवता गांव के ही पशुपालक भंवरसिंह और खेतसिंह ने किसान तक को बताया कि तरड़िया बीमारी से भेड़ और बकरी दो-तीन दिन बीमार रहती हैं. उल्टी और दस्त के कारण पशु बेहद कमजोर हो जाता है और तीन दिन बाद उसकी मौत हो जाती है. खेतसिंह ने बताया कि उनकी 40 भेड़ अब तक मर चुकी हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से अब तक कोई इलाज नहीं मिला है.
सांवता गांव के निवासियों ने बताया कि तरड़िया नाम की बीमारी हर साल सर्दियों के मौसम में होती है. इसमें पशु को उल्टी और दस्त होते हैं. दो-तीन दिन बाद कमजोरी के कारण पशुओं की मौत हो जाती है. बीमारी के कारण भेड़-बकरी ना तो चारा खाती हैं और ना ही पानी पीती हैं. सांवता के ही रहने वाले उम्मेद सिंह कहते हैं कि पशुपालन ही हमारी आजीविका का साधन है. ऊंट, भेड़ और बकरी पालन कर हम गुजारा करते हैं. उम्मेद सिंह की अब तक 15 भेड़ मर चुकी हैं.
पशुओं की मौत के बारे में बात करने के लिए किसान तक ने जैसलमेर में पशुपालन विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ. अशोक सुथार को फोन किया. लेकिन उनका फोन बंद आ रहा था. इसके बाद पशुपालन विभाग, जयपुर के डायरेक्टर डॉ. भवानी सिंह राठौड़ को फोन किया. उन्होंने कहा कि मैं मामले की तफ़्तीश करता हूं. पशुओं को इलाज दिया जाएगा.