मत्स्य किसान दिवस : मछली पालन की आधुनिक तकनीक को अपनाकर ही कर सकते हैं बेहतर कमाई

मत्स्य किसान दिवस : मछली पालन की आधुनिक तकनीक को अपनाकर ही कर सकते हैं बेहतर कमाई

आज के ही दिन वर्ष 1967 में मशहूर मत्स्य वैज्ञानिक डॉ हीरालाल चौधरी ने मछलियों को होर्मोन देकर प्रेरित प्रजनन कराने में पहली बार सफलता मिली थी. इसी उपलब्धि के मौके को याद करने के लिए देश भर के केंद्र और राज्य सरकार के मत्स्य संस्थानों में विशेष रुप से मत्स्य किसान दिवस मनाया जाता है.

मत्स्य किसान दिवस कार्यक्रम                 फोटोः किसान तकमत्स्य किसान दिवस कार्यक्रम फोटोः किसान तक
क‍िसान तक
  • Ranchi,
  • Jul 10, 2023,
  • Updated Jul 10, 2023, 10:23 PM IST

राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस के मौके पर देश भर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. झारखंड की राजधानी रांची स्थित मत्स्य किसान प्रशिक्षण केंद्र में मत्स्य किसान दिवस मनाया गया. इस दौरान राज्य के अलग-अलग जिलों के मत्स्य किसान शामिल हुए. साथ ही कई पूर्व अधिकारी शामिल हुए जिन्होंने विभाग में सराहनीय कार्य किया है. कार्यक्रम के दौरान मत्स्य किसानों के बीच परिसंपत्ति का वितरण भी किया गया. साथ ही किसानों को मछली पालन में हो रहे बदलावों के बारे में बताया गया साथ ही उन्हें मत्स्य पालन के क्षेत्र में झारखंड को आगे ले जाने के लिए सामूहिक प्रयास करने के लिए कहा गया. 

सबसे पहले कार्यक्रम के महत्व को बताते हुए कहा गया कि आज के ही दिन वर्ष 1967 में मशहूर मत्स्य वैज्ञानिक डॉ हीरालाल चौधरी ने मछलियों को होर्मोन देकर प्रेरित प्रजनन कराने में पहली बार सफलता मिली थी. इसी उपलब्धि के मौके को याद करने के लिए देश भर के केंद्र और राज्य सरकार के मत्स्य संस्थानों में विशेष रुप से मत्स्य किसान दिवस मनाया जाता है. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व मत्स्य निदेशक राजीव कुमार ने कहा कि सभी किसानों को डॉ हीरालाल चौधरी से प्रेरणा लेते हुए मत्स्य पालन में आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य हासिल करने लिए वैज्ञानिक पद्धति को अपनाने के लिए कहा. 

झारखंड में बढ़ा है मछली उत्पादन

उन्होंने कहा कि सूखे कि स्थिति में बड़े-बड़े जलाशयों में केज कल्चर के माध्यम से किसान अधिक मछली का उत्पादन हासिल कर सकते हैं. मछली पालन में आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ते झारखंड में मछली उत्पादन के बारे में बताते हुए कहा गया कि झारखंड में एक वक्त 14000 मीट्रिक टन मछली की पैदावार होती थी जबकि आज झारखंड में 2,80,000 मीट्रिक टन मछली की पैदावार होती है. इसके पीछे राज्य के मत्स्य किसानों का अथक प्रयास है. इसके अलावा इसका श्रेय यहां के बीज उत्पादकों और विभाग के अधिकारियों को जाता है. 

लाभुकों के बीच परिसंपत्ति का हुआ वितरण

इस मौके पर बेहतर कार्य करने वाले मत्स्य किसानों को सम्मानित भी किया गया. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के चार लाभुको के बीच 39,60,000 रुपये की परिसंपत्ति का वितरण किया गया. तीन लाभुकों के बीच थ्री व्हीलर ऑटो दिया गया. एक लाभुक को मोटरसाइकिल दिया गया. मछली पालन में नयी तकनीक को बढ़ावा देने के लिए बॉयोफ्लॉक तालाब का निर्माण कराकर मछली पालन करने के लिए एक लाभुक के बीच पहले चरण का अनुदान एक लाख रुपये का चेक दिया गया. वेदव्यास आवास निर्माण के लिए तीन लाभुकों के बीच 75000 रुपये का वितरण किया गया. इस  मौके पर जिला मत्स्य पदाधिकारी रांची अरुप चौधरी, जिला मत्स्य पदाधिकारी खूंटी नवराजन तिर्की समेत अन्य अधिकारी और किसान शामिल हुए.   

 

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