पशुपालन और कृषि एक दूसरे के पूरक हैं, इसके जरिए किसान अपना जीवन सुधार सकते हैं. झारखंड के नगड़ी प्रखंड के हरही गांव के रहने वाले विशेश्वर साही की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. दूध उत्पादन के जरिए विशेश्वर साही ना सिर्फ खुद की किस्मत में बदलाव लाए हैं, बल्कि दूसरे ग्रामीणों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं. दूध उत्पादन के जरिए वो आज एक आर्थिक तौर पर पिछड़े हुए गांव को आर्थिक तरक्की की राह पर लाने में सफल हुए हैं. आज गांव समाज में उनकी एक अलग पहचान है जोकि गौपालन और दूध उत्पादन से ही संभव हो पाया है.
नगड़ी प्रखंड के हरही गांव एक दशक पहले तक काफी पिछड़ा हुआ गांव था. गांव तक पहुंचने के लिए अभी भी जर्जर सड़क का सफर तय करना पड़ता है. ऐसे गांव में भी दूध उत्पादन के जरिए विकास की धारा बह रही है. इसी गांव के रहने वाले विशेश्वर साही दूध का व्यापार करते थे, गांव में घूम-घूम कर दूध जमा करते थे और उसे बाहर बेचते थे. इसके बाद उन्हें दूध उत्पादन और गौ-पालन के बारे में जानकारी मिली, तो उन्होंने भी गाय पालन करने का मन बनाया और सरकारी योजना के तहत पांच गायें खरीदी, जिसमें उन्हें पचास फीसदी का अनुदान मिला.
इस तरह से वो दूध उत्पादन करने लगे. फिर धीरे-धीरे उन्होंने गायों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया. सरकारी योजनाओं का लाभ लिया साथ ही किस्मत ने साथ दिया घर में ही बछिया पैदा हुई तो गायों की संख्या उनके पास बढ़ गई. इस तरह से आज इनके पास छोटे बड़े गायों को मिलाकर कुल 40 गायें हैं. ब्रीडिंग के लिए उन्होंने साहीवाल नस्ल का बैल भी खरीद लिया है, इसके जरिए अब वो नस्ल में सुधार करा रहे हैं. विशेश्वर बताते हैं कि गाय की कमाई से ही उन्होंने अपने पांच बच्चों को पढ़ाया लिखाया, शादी विवाह किया, पक्का मकान बनवाया साथ ही घर में एक चारपहिया वाहन भी खरीदा.
गांव में बीएमसी खुलने के बाद विशेश्वर साही के साथ-साथ ग्रामीणों को काफी लाभ हुआ. ग्रामीणों को गांव में ही दूध के अच्छे दाम मिलने लगे और विशेश्वर साही को बीएमसी की देखरेख का जिम्मा मिल गया. इसके साथ ही उन्होंने खुद की गौशाला शुरू की. गोबर के अच्छे दाम मिले इसलिए सिर्फ गोबर को ना बेचकर वर्मी खाद बनाने का कार्य शुरू किया, इसके अलावा अपनी जमीन पर उन्होंने गोबर गैस प्लांट भी लगाया है. इस तरह से वो गोबर का पूरा इस्तेमाल करते हैं. गायों को चारा खिलाने के लिए वो जई घांस की खेती करते हैं, इस तरह से वो गौपालन के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं.