हम सभी जानते हैं कि बहुत सारे मुल्क में हलाल सटिफिकेट पर ही मीट खरीदा जाता है. भारत से हर साल लाखों टन मीट एक्सपोर्ट होता है. लेकिन अब दूध भी हलाल सर्टिफिकेट दिखाने पर ही खरीदा जा रहा है. हरियाणा की वीटा डेयरी से दो देश दूध खरीदते हैं. लेकिन दूध खरीदने-बेचने का सौदा हलाल सर्टिफिकेट दिखाने के बाद ही हुआ है. खास बात यह है कि हर साल हलाल सर्टिफिकेट को रिन्यू भी कराया जाता है. बकायदा एक टीम सभी चीजों को परखने के बाद ही हलाल सर्टिफिकेट जारी करती है और उसे रिन्यू भी करती है.
ताकत बढ़ाने के लिए हरियाणा की मुर्रा भैंस का दूध सिर्फ इंडोनेशिया और मलेशिया को ही नहीं इंग्लैंड की कंपनी को भी पंसद आ रहा है. यही वजह है कि इंग्लैंड की भी एक दवा बनाने वाली कंपनी वीटा डेयरी से हर रोज करीब 15 हजार लीटर दूध की खरीद कर रही है.
ये भी पढ़ें- Goat Farming: जरूरी नहीं बकरी मैदान में चरने जाए, खूंटे पर बांधकर भी पाल सकते हैं, जानें कैसे
वीटा डेयरी के सीईओ चरण जीत सिंह ने 'किसान तक' को बताया कि इंडोनेशिया और मलेशिया की कई कंपनी हमसे दूध खरीदती हैं. उन्हें हमारे यहां की मुर्रा भैंस का दूध काफी पसंद आया. इसीलिए वो हरियाणा से दूध खरीद रही हैं. हालांकि मुर्रा भैंस के साथ ही वो गाय का दूध भी खरीदती हैं. लेकिन दूध की सप्लाई शुरू होने से पहले उन्होंने हलाल सर्टिफिकेट की डिमांड की. हमने हलाल सर्टिफिकेट जारी करने वाली इंडिया में मौजूद कई संस्थाओं में से एक से बात की. उन्होंने कई स्तर पर हमारे दूध की जांच की. उनकी एक टीम ने हमारे प्लांट का दौरा भी किया.
उन्होंने किसान के उस बाड़े को भी देखा जहां से हमारे डेयरी प्लांट पर दूध सप्लाई हो रहा था. भैंस का दूध निकालने, दूध प्लांट पर पहुंचाने उसके बाद दूध को स्टोर करने और उसकी पैकिंग तक की जांच की गई. इसके बाद ही कहीं जाकर हलाल सर्टिफिकेट जारी हुआ.
ये भी पढ़ें- CIRG: बकरियों को हरा चारा खिलाते समय रखें इन बातों का खयाल, नहीं होंगी बीमार
वीटा डेयरी के सीईओ ने बताया कि हलाल सर्टिफिकेट देखने के बाद दूध के मामले में कंपनी को इस बात का यकीन हो जाता है कि दूध हलाल जानवर का है. दूध सप्लाई करने के लिए दूध को स्टोर करते वक्त उसमे किसी भी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया गया है. जैसा गाय-भैंस ने दूध दिया वैसा ही कंपनी को सप्लाई कर दिया गया है. हम सोनीपत में इंडोनेशिया और मलेशिया की कंपनी के कर्मचारियों को दूध की सप्लाई दे देते हैं. उसके बाद वो अपने हिसाब से उस दूध को विदेश भेजते हैं. दूध में बिना किसी केमिकल का इस्तेमाल किए भी उसे कई दिनों तक रखा जा सकता है.
ये भी पढ़ें-
अडानी कंपनी मथुरा में गौशाला के साथ मिलकर बनाएगी CNG, जानें प्लान
CIRG की इस रिसर्च से 50 किलो का हो जाएगा 25 किलो वाला बकरा, जानें कैसे