अभी तक आप अल नीनो के बारे में सुन रहे थे, इस साल सुपर अल नीनो का दिखेगा असर!

अभी तक आप अल नीनो के बारे में सुन रहे थे, इस साल सुपर अल नीनो का दिखेगा असर!

NOAA के मुताबिक 2024 में मजबूत अल नीनो की आशंका जताई जा रही है. इस दौरान भूमध्यरेखीय समुद्री सतह का तापमान औसत से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है. इस बात की 30 प्रतिशत संभावना है कि तापमान 2 डिग्री तक बढ़ सकता है. अगर ऐसा होता है तो यह अल नीनो से भी आगे की बात हो जाएगी.

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अभी तक आप अल नीनो के बारे में सुन रहे थे, इस साल सुपर अल नीनो का दिखेगा असर!इस साल सुपर अल नीनो का दिखेगा असर!

देश में लगातार हो रहे जलवायु परिवर्तन और बाकी घटनाओं की वजह से मौसम में अप्रत्याशित बदलाव देखने को मिल रहे हैं. दरअसल दुनिया के किसी एक हिस्से में समुद्र के औसत तापमान की तुलना में ज्यादा गर्मी या ज्यादा ठंड पड़ने से दुनिया भर का मौसम प्रभावित हो सकता है. प्रशांत महासागर में तापमान बढ़ने से भारत में भी मौसम पर प्रभाव पड़ सकता है. अब इस संबंध में एक और चिंताजनक रिपोर्ट सामने आई है. यह रिपोर्ट अल नीनो को लेकर है जो कि चिंता पैदा करती है.

राष्ट्रीय समुद्री और वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में मार्च से मई के दौरान बेहद मजबूत अल नीनो प्रभाव देखने को मिल सकता है, जिसकी वजह से मौसम में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे. वहीं इसे 'सुपर अल नीनो' कहा जा रहा है. आइए जानते हैं ये क्या होता है.

NOAA की क्या है भविष्यवाणी 

NOAA के मुताबिक 2024 में मजबूत अल नीनो की आशंका जताई जा रही है. इस दौरान भूमध्यरेखीय समुद्री सतह का तापमान औसत से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है. इस बात की 30 प्रतिशत संभावना है कि तापमान 2 डिग्री तक बढ़ सकता है. NOAA का कहना है कि 30 से 33 प्रतिशत संभावना है कि ये प्रभाव 'ऐतिहासिक रूप से प्रबल' हो सकता है और सुपर अल नीनो के प्रभाव में बदल सकता है.

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क्या होता है अल नीनो?

अल नीनो एक तरह की मौसमी घटना है.  इसमें मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्री सतह का पानी सामान्य से अधिक गर्म होने लगता है. इसके चलते पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली हवाएं कमजोर पड़ जाती हैं और गर्म पानी पूर्व यानी अमेरिका के पश्चिमी तट की ओर जाने लगता है. आमतौर पर ये 02 से 07 साल तक के अनियमित अंतराल पर होता है. अल नीनो के असर से तापमान में बढ़ोतरी होती है और अधिक गर्मी पड़ने के आसार बढ़ जाते हैं.

क्या होता है सुपर अल नीनो?

अल नीनो में समुद्री सतह का तापमान औसत से 0.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ता है. जब ये तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है, तो इसे स्ट्रॉन्ग या मजबूत अल नीनो कहा जाता है. वहीं जब समुद्री सतह का तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक ज्यादा हो जाता है तो इसे सुपर अल नीनो कहा जाता है. 1997-98 और 2015-16 में भी सुपर अल नीनो आ असर देखने को मिला था, तब कहीं बहुत अधिक बारिश तो कहीं सूखा पड़ा था.

सुपर अल नीनो का असर?

सुपर अल नीनो का असर किसी एक खास जगह पर न होकर पूरी दुनिया पर होता है. इसकी वजह से कुछ इलाकों में भीषण सूखा तो कुछ इलाकों में भारी बारिश होती है. इसका दुनियाभर के कृषि उत्पादन, जल संसाधन, मानव आबादी पर गंभीर प्रभाव होता है. हालांकि, इसकी वजह से कुछ सकारात्मक घटनाएं भी होती हैं. जैसे, अटलांटिक महासागर में तूफान की घटनाओं में कमी आती है. 

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