no snowfall and rainfall in mountains and agriculture ruinedपहाड़ों में इस बार सूखा है. यह सूखा बर्फबारी से लेकर बारिश तक का है. ऐसा बहुत कम होता है कि मैदानी इलाकों में बेहद ठंड हो और देश के पहाड़ी इलाके बर्फ से परे हों. लेकिन इस बार ऐसा देखा जा रहा है जो कि मौसम से लेकर खेती-बाड़ी के लिए अच्छा संकेत नहीं है. बात सबसे पहले कांगड़ा घाटी की जो हिमाचल प्रदेश में पड़ती है. यह घाटी बर्फबारी और सुनहरे दृश्यों के लिए जानी जाती है. पर इस बार यहां भी सूखा है. कांगड़ा घाटी में 17 साल बाद सूखा पड़ रहा है. पहाड़ों से बर्फ गायब है जो इस महीने में आमतौर पर बर्फ से ढके रहते थे. दिन में अप्रत्याशित रूप से धूप है लेकिन रातें और शामें ठंडी हैं. शिमला में ऐसी ही स्थिति बनी है. यहां तक कि हिमाचल प्रदेश के पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में भी हालात सामान्य नहीं हैं.
कांगड़ा में शाम के समय लोग अलाव का सहारा लेते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि थोड़ी-बहुत बर्फबारी हमेशा होती रहती है. लेकिन इस बार मामला उलट है. यहां 17 वर्षों के बाद इतना सूखा पड़ा है. जनवरी के महीने में हरे-भरे कांगड़ा घाटी के ऊपर धौलाधार पर्वत श्रृंखला सहित पहाड़ों से बर्फ गायब है. गर्मियों की तरह दिन में धूप रहती है लेकिन सुबह और शामें काफी ठंडी होती हैं. दिन में लोगों को गर्मी की तरह धूप का मौसम महसूस होता है और रातें ठंडी होती हैं. शाम के समय लोग गर्मी के लिए अलाव का उपयोग करते हैं. शुष्क मौसम का असर फसलों और लोगों के स्वास्थ्य दोनों पर पड़ रहा है.
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अब बात शिमला की. पहाड़ी इलाको में बर्फ के दीदार की चाहत लेकर पहुंचने वाले सैलानियों में मायूसी दिख रही है. सैलानी बर्फ की चाहत लिए पहाड़ी इलाकों का रुख कर रहे हैं. पहाड़ों की रानी मसूरी में भी पर्यटक दूर दराज से पहुंच रहे हैं. मगर बर्फबारी न होने के चलते पर्यटकों के हाथ निराशा लग रही है. इस साल यहां की चोटियां बर्फ से ढकी रहती हैं, पर इस बार नजारा विपरीत है.सैलानियों के लिए बर्फ की सौगात लाने वाली मसूरी में भी इस वर्ष बर्फ के दीदार नही हो सके.अपने सौंदर्य और बर्फ की सफेद चादर से सैलानियों को लुभाने वाली मसूरी में साल 2023 में बर्फ नहीं दिखी. वहीं साल 2024 की शुरुआत में पर्यटकों को लगा कि बर्फबारी होगी लेकिन वो भी नही हुई. मौसम का लुत्फ लेने सैलानी मसूरी की ओर रुख तो कर रहे हैं, लेकिन मसूरी पहुंचे सैलानी बेहद निराश हैं. उनका कहना है कि बर्फबारी न देखने के चलते वह मायूस हैं और जल्द घर वापसी करेंगे.
अब ये भी जान लेते हैं कि आखिर पहाड़ों में बर्फबारी और बारिश क्यों नहीं हो रही है. भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी कि IMD की सीनियर साइंटिस्ट सोमा रेन रॉय कहती हैं, इस वर्ष कमजोर पश्चिमी विक्षोभ है, इसलिए पहाड़ों या मैदानों में कोई महत्वपूर्ण बर्फबारी या वर्षा नहीं हुई है. अगले 07 दिनों में किसी भी मजबूत पश्चिमी विक्षोभ की संभावना नहीं है, इसलिए मौसम के मिजाज में कोई बदलाव की उम्मीद नहीं है.सोमा रॉय कहती हैं, इस साल अल नीनो और अन्य मौसम संबंधी स्थितियों के कारण कम सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ है. हालांकि पश्चिमी विक्षोभ आ रहे हैं लेकिन उत्तरी हिमालय के ऊपर से गुजर रहे हैं. इस वजह से पहाड़ों में बर्फबारी और बारिश की संभावना नहीं बन पा रही है. बुधवार से तेज हवा चलने की संभावना है जिससे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और यूपी से बादल हट जाएंगे. इसलिए ठंडे दिन की स्थिति से राहत मिलने की संभावना है.
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