दक्षिणी तमिलनाडु में थूथुकुडी के पास भारी बाढ़ वाले श्रीवैकुंटम में फंसे सभी 809 ट्रेन यात्रियों को मंगलवार को बचा लिया गया. मंगलवार शाम तक 809 यात्रियों में से 509 लोगों को श्रीवैकुंटम रेलवे स्टेशन से निकाल लिया गया. उन्हें बसों द्वारा वांची मनियाची रेलवे स्टेशन ले जाया गया, जहां से उन्हें चेन्नई ले जाने के लिए एक विशेष ट्रेन चलाई गई. दक्षिणी रेलवे की तरफ से यह दावा किया गया है. यह भी बताया गया है कि श्रीवैकुंटम के एक स्कूल में ठहराए गए 300 अन्य रेल यात्रियों में से 270 यात्री खुद ही वहां से चले गए, क्योंकि उनमें से अधिकांश आसपास के स्थानों के थे.
दक्षिणी रेलवे की एक विज्ञप्ति में कहा गया है, "बाकी 30 यात्रियों को भी आरपीएफ की मदद से निकाला जा रहा है और उन्हें सड़क मार्ग से मनियाची स्टेशन ले जाया जाएगा. दिन में पहले किए गए दावे के बारे में पूछे जाने पर कि रक्षा कर्मियों ने एक हेलीकॉप्टर की मदद से श्रीवैकुंटम में रेल यात्रियों को बचाने का काम शुरू किया, इसकी पुष्टि करने वाले रेलवे अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि यह 'फैक्ट्स की गलती' थी. उन्होंने कहा, हालांकि यह सच है कि उन्होंने लोगों को बचाया. वायुसेना के तीन हेलिकॉप्टरों ने फंसे हुए यात्रियों तक खाने के पैकेट और पानी पहुंचाया.
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फंसे हुए यात्री लगभग 3 किमी की दूरी तक घुटने के स्तर से नीचे पानी में चले. बाद में, रेलवे मेडिकल टीम द्वारा चिकित्सा सहायता देने के बाद उन्हें बसों द्वारा मनियाची स्टेशन ले जाया गया. जिन लोगों को मदद की ज़रूरत थी, जैसे बुजुर्ग यात्री, उन्हें आरपीएफ और एनडीआरएफ की मदद से स्ट्रेचर पर ले जाया गया. दक्षिणी रेलवे ने एनडीआरएफ, राज्य अग्निशमन सेवा और वायु सेना की सहायता से श्रीवैकुंटम स्टेशन और स्कूल से सभी फंसे हुए यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला.
आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि 17 दिसंबर (21.19 बजे) को एक्सप्रेस ट्रेन नंबर 20606 (तिरुचेंदुर-चेन्नई एग्मोर, चेंदूर एक्सप्रेस) के यात्री श्रीवैकुंटम रेलवे स्टेशन और पास के एक स्कूल में 'फंसे रहे'. आगे ट्रैक की स्थिति असुरक्षित होने के कारण ट्रेन को 'स्टेशन पर ही रोकना पड़ा. 'पानी की अधिक गति और रास्ते में दरारों के कारण सोमवार को कोई भी बचाव दल उस स्थान तक नहीं पहुंच सका. यहां तक कि 18-12-2023 को 16:40 बजे सुलूर बेस से उड़ान भरने वाला भारतीय वायु सेना का हेलिकॉप्टर भी खराब मौसम की स्थिति और खराब रोशनी के कारण भोजन और राहत सामग्री नहीं गिरा सका.
स्कूल और श्रीवैकुंटम रेलवे स्टेशन दोनों पर राज्य पुलिस और स्थानीय लोगों की मदद से भोजन और पानी की व्यवस्था की गई थी. मदुरै डिवीजन के रेलवे कर्मचारी सबसे पहले श्रीवैकुंटम स्टेशन पहुंचे. तिरुनेलवेली से आरपीएफ टीम के अलावा दो लोग पानी की बोतलों और अन्य खाने के सामान के साथ परिवहन के अलग-अलग साधनों का उपयोग करके बाढ़ का सामना करते हुए 18 दिसंबर को श्रीवैकुंटम पहुंचे.
अंत में वे लगभग 3 किलोमीटर तक सीने से ऊपर बाढ़ के पानी में चले और यात्रियों को पानी और अन्य खाने के सामानों की आपूर्ति की. इससे फंसे हुए यात्रियों के बीच बचाव की बड़ी उम्मीद जगी. रेलवे टीम के पहुंचने के 30 घंटे बाद एनडीआरएफ भी मौके पर पहुंची.
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