हर साल दिल्ली में ठंड के दिनों में बढ़ने वाले प्रदूषण के लिए पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं को जिम्मेदार बताया जाता है. वहीं, इस बार पड़ोसी देश पाकिस्तान ने भी लाहौर में भारत के राज्य पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं को प्रदूषण के लिए बताया है. अब पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) के अध्यक्ष आदर्श पाल विग ने टिप्पणी कर इन बयानों की निंदा की है. पीपीसीबी अध्यक्ष ने पूछा कि जब पंजाब में हवा की गति 2 किमी प्रति घंटे से कम है तो इन दोनों शहरों में यहां के खेतों की आग से प्रदूषण कैसे फैल सकता है. वहां अभी भी ऐसे ही हालात बने हुए हैं.
पीपीसीबी अध्यक्ष विग ने इस बात पर जोर दिया कि लोकल इमिशन सोर्स इन शहरों में बढ़ते प्रदूषण के के लिए जिम्मेदार है. पराली जलाने से दिल्ली की तुलना में पंजाब में स्थानीय वायु गुणवत्ता पर ज्यादा असर पड़ा है. माहौल बनाया जा रहा है कि दिल्ली में प्रदूषण के लिए सिर्फ पंजाब ही जिम्मेदार है. विग ने इन शहरों के स्थानीय प्रदूषण में जनसंख्या घनत्व, घरेलू उपकरणों से होने वाला उत्सर्जन, इंडस्ट्री, कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स और बड़ी संख्या में वाहनों को जिम्मेदार ठहराया.
पीपीसीबी अध्यक्ष ने आगे कहा कि दोनों शहरों में घनी आबादी है और कई रिसर्चों में से यह खुलासा हुआ है कि यहां स्थानीय कारकों के चलते प्रदूषण का स्तर बढ़ा है. इधर, मौसम विभाग के मुताबिक, पंजाब में मौसम शुष्क बना रहेगा और अगले दो दिनों तक इलाके में घना से लेकर बहुत घना कोहरा छाए रहने की आशंका है.
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हाल ही में एक दिन में 509 पराली जलाने की घटनाओं के बाद अब इनमें कमी दर्ज की गई है. वहीं, इस पर विशेषज्ञों का मत अलग है. उनका कहना है कि पराली जलाने के मामलों में गिरावट का कारण यह है कि घने कोहरे के सैटेलाइट इनकी पहचान नहीं कर पा रही है. पंजाब के कई शहरों में वायु गुणवत्ता बहुत खराब की श्रेणी में बनी हुई है.
इधर, मोगा डीसी ने गुरुवार को सभी सरकारी कर्मचारियों को अगले तीन दिनों तक पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए हाई अलर्ट पर रहने को कहा है. डीसी ने अगले 10 दिनों तक किसी भी सिविल या पुलिस अधिकारी को छुट्टी न देने के आदेश भी जारी किए हैं.
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