बिहार में मॉनसून के दस्तक के बीच सूबे के कई जिलों में बारिश ने खरीफ सीजन की खेती के लिए किसानों के बीच अच्छी फसल होने की उम्मीद जगा दी है. लेकिन अभी भी सूबे के कई जिलों में बारिश नहीं हो रही है और तापमान भी अधिक है, जिसकी वजह से धान के बीज का जमाव सही तरीके से नहीं हो पा रहा है. हालत ये है कि कई किसान बारिश के इंतजार में अभी तक धान की नर्सरी भी नहीं डाल पाए हैं. आपको बता दें कि धान की रोपाई से पौधे की नर्सरी तैयार की जाती है. इस नर्सरी को तैयार करने में पानी की भूमिका अहम होती है. कृषि वैज्ञानिकों ने मौसम के बदलते हुए मिजाज को देखते हुए कहा है कि तापमान में अधिक वृद्धि होने से धान की नर्सरी के सूखने के खतरा बढ़ गया है. इस दौरान किसानों को यह प्रयास करने की जरूरत है कि वह अपने खेतों में नमी बनाए रखें. वहीं जिन किसानों ने अभी तक नर्सरी नहीं डाली है. वह नर्सरी डालने से पहले खेतों का सही तरीके से उपचार करना शुरू कर दें.
मौसम विभाग ने 15 से 17 जून तक पटना सहित बिहार के सभी राज्यों में मॉनसून पहुंचने की उम्मीद व्यक्त की है. जहां लोगों को भीषण गर्मी से राहत मिलने की उम्मीद है. वहीं खेती के लिहाज से आगामी दिनों में होने वाली बारिश को अमृत के समान माना जा रहा है.
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बिहार के कुछ जिलों में मॉनसून की पहली बारिश होने से किसान काफी खुश हैं. बीते दिनों सीतामढ़ी, मधेपुरा, पूर्वी चंपारण और मुंगेर में हुई बारिश ने लोगों को भीषण गर्मी से राहत दिलाई. बारिश होने से किसानों ने अपनी खरीफ सीजन की फसल के लिए तैयारियां शुरू कर दी है. अररिया जिले के किसान प्रधान बेसरा कहते हैं कि यह बारिश अमृत के समान है. जहां किसान धान की नर्सरी बचाने के लिए चार से पांच दिनों पर पानी दे रहे थे. वहीं अब आठ दिन के अंतराल पर पानी देना होगा. यह बारिश उन किसानों के लिए अमृत के समान है जो एक दो दिनों में धान की नर्सरी डालने वाले थे. वे अब आसानी से नर्सरी डाल सकते हैं. आगे वह कहते हैं कि बारिश से पहले धान की नर्सरी बचाने के लिए हर पांचवें दिन 120 रुपये घंटे के हिसाब से पानी देना पड़ता था .उससे राहत मिली है.
पटना जिले के बिहटा प्रखंड के विष्णुपुरा गांव के किसान एवं खाद व बीज विक्रेता अभिजीत सिंह कहते हैं कि धान की नर्सरी के लिए अधिकतम तापमान 35 डिग्री तक होना चाहिए. लेकिन 42 से 43 डिग्री तक तापमान होने की वजह से बीज का जमाव ठीक से नहीं हो रहा है. वहीं पिछले साल जहां उनके गांव में 15 जून तक 90 प्रतिशत तक लोगों ने धान की नर्सरी डाल चुके थे, इस साल अभी तक बारिश नहीं होने से 40 प्रतिशत ही किसान नर्सरी डाल सके हैं. उनके दुकान से अभी तक बीज की खरीदारी भी 30 से 35 प्रतिशत तक हो पाई है. उनका कहना है कि मौसम विभाग के रिपोर्ट के अनुसार अगर 17 जून तक पटना सहित सूबे में पूर्ण रूप से मॉनसून आ जाता है, तो कई किसान धान की नर्सरी लगाना शुरू कर देंगे. अभी ये हालत है कि हर दूसरे दिन ही नर्सरी में पानी देना पड़ रहा है. जिन किसानों के पास सिंचाई की बेहतर व्यवस्था नहीं है. वह बारिश का इंतजार कर रहे हैं.
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भोजपुर कृषि विज्ञान केंद्र के हेड व वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ प्रवीण कुमार द्विवेदी कहते हैं कि पिछले कुछ दिनों में राज्य के विभिन्न जिलों में बारिश होने से किसानों को थोड़ी राहत मिली है. लेकिन अभी जैसी बारिश की उम्मीद है, वैसी बारिश नहीं हुई है. वे किसान तक को बताते हैं कि अत्यधिक तापमान की वजह से इस समय धान की नर्सरी के पौधे सूखने का खतरा बढ़ जाता हैं. इसके लिए खेतों में किसान हल्की सिंचाई करते रहे. साथ ही अगर पौधा दुबला या उसमें वृद्धि नहीं हो रहा है, तो उस अवस्था में एक डिसमिल जमीन में एक लीटर पानी में 15 ग्राम ग्लूकोज मिलाकर सुबह या शाम के समय छिड़काव करने की जरूरत है. आगे वह बताते हैं कि अभी तक जिन किसानों ने नर्सरी नहीं डाली है, वह खेत की तैयारी शुरू कर दें. इसके लिए वे एक कट्ठा जमीन (3 डिसमिल जमीन) में कम से कम 1.5 किलोग्राम डीएपी 2 किलोग्राम पोटाश और साथ में चार से पांच टोकरी सड़ी हुई गोबर की खाद (करीब 25 से 30 किलो) और कम से कम 10 किलोग्राम वर्मी कंपोस्ट के साथ 2 से 3 किलोग्राम नीम की खली अच्छी तरह से मिला कर खेत में डाल दें. उसके बाद खेतों को अलग-अलग बेड के रूप में बनाने के बाद बीजों को डालें.
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