भारत में ला-नीना लाएगा भारी बारिश और बाढ़, अमेरिकी एजेंसी ने दिया मौसम अपडेट

भारत में ला-नीना लाएगा भारी बारिश और बाढ़, अमेरिकी एजेंसी ने दिया मौसम अपडेट

एनओएए ने कहा कि ला नीना आम तौर पर मजबूत एल नीनो घटनाओं के पीछे चलता है, जैसा कि पिछले कुछ महीनों में देखा गया है, जो ला नीना के पक्ष में हर तरह के संकेत करता है. एनओएए के मुताबिक, जून में अल-नीनो पूरी तरह से न्यूट्रल हो जाएगा और उसके बाद जून-अगस्त या जुलाई-सितंबर में ला-नीना एक्टिव हो जाएगा.

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भारत में ला-नीना लाएगा भारी बारिश और बाढ़, अमेरिकी एजेंसी ने दिया मौसम अपडेटला नीना लाएगा भारी बारिश

भारत में मौसमी गतिविधि ला-नीना एक्टिव होने वाली है. इससे भारी बारिश होने की संभावना है. जून में जब भारत में मॉनसून की शुरुआत होगी, उस दौरान ला-नीना के एक्टिव होने से सामान्य से अधिक बारिश और बाढ़ की संभावना जताई गई है. एक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है. अमेरिकी मौसमी संस्था क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर ऑफ द नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अगले कुछ महीने में भारत में ला-नीना एक्टिव हो सकता है. इससे मॉनसून के दौरान सामान्य से अधिक बारिश और बाढ़ की संभावना बनती दिख रही है. भारत में जून में मॉनसून की शुरुआत होती है जो सितंबर-अक्तूबर तक जारी रहता है.

अमेरिकी संस्था ने कहा है कि जून-अगस्त 2024 के दौरान भारत में ला-नीना की स्थिति बनेगी. विशेषज्ञों ने कहा कि पिछली ला नीना घटनाओं के दौरान रुझानों के आधार पर सामान्य उम्मीद यह है कि मॉनसून के महीनों के दौरान ला नीना के कारण भारत में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है. साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि इससे देश के कुछ हिस्सों में अत्यधिक बाढ़ की भी संभावना है. भारत में, अल नीनो अधिक कठोर गर्मी और कमजोर मॉनसून की स्थिति पैदा करता है. दूसरी ओर, ला नीना मजबूत मॉनसून और औसत से अधिक बारिश और ठंडे मौसम से जुड़ा है.

क्या कहती है रिपोर्ट?

एनओएए ने कहा कि ला नीना आम तौर पर मजबूत एल नीनो घटनाओं के पीछे चलता है, जैसा कि पिछले कुछ महीनों में देखा गया है, जो ला नीना के पक्ष में हर तरह के संकेत करता है. एनओएए के मुताबिक, जून में अल-नीनो पूरी तरह से न्यूट्रल हो जाएगा और उसके बाद जून-अगस्त या जुलाई-सितंबर में ला-नीना एक्टिव हो जाएगा. 

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भारत की अधिकांश मॉनसूनी वर्षा जुलाई और अगस्त में होती है. लगातार और मध्यम मात्रा में बारिश भारत के लिए महत्वपूर्ण है जहां लगभग आधे खेत में सिंचाई की कमी है. अच्छी बारिश चीनी, दालें, चावल और सब्जियों जैसे मुख्य उपजों की कीमतों को नियंत्रण में रखने में मदद कर सकती है, जिससे महंगाई की समस्या पर भी लगाम लगेगी. मौसम विभाग ने पहले ही लंबी अवधि के औसत के 106 परसेंट पर सामान्य से अधिक मॉनसून का अनुमान लगाया है जबकि एक साल पहले यह संख्या सामान्य से 94% कम थी. 

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