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द‍िल्ली के प्रदूषण में पराली का क‍ितना है योगदान, क‍िसानों को 'व‍िलेन' बनाने से पहले आंकड़े देख‍िए

द‍िल्ली के प्रदूषण में पराली का क‍ितना है योगदान, क‍िसानों को 'व‍िलेन' बनाने से पहले आंकड़े देख‍िए

Air Pollution in Delhi: द‍िल्ली-एनसीआर में अक्टूबर-नवंबर के दौरान प्रदूषण अध‍िक होने की एक बड़ी वजह मौसम का रुख भी है. नमी बढ़ जाती है और हवा के बहाव में कमी आ जाती है. वरना गेहूं की पराली जलने पर भी जरूर हाहाकार मचता. हवा की गत‍ि तेज हो तो हालात इतने खराब नहीं रहेंगे. 

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द‍िल्ली के प्रदूषण में पराली का बहुत कम योगदान है. द‍िल्ली के प्रदूषण में पराली का बहुत कम योगदान है.

द‍िल्ली-एनसीआर पर द‍िवाली से पहले प्रदूषण की मार पड़ने लगी है. इसके ल‍िए खासतौर पर द‍िल्ली वाले क‍िसानों को व‍िलेन बनाने में जुट गए हैं. लेक‍िन, हमें क‍िसी को कटघरे में खड़ा करने से पहले जरा यह भी देख लेना चाह‍िए क‍ि आंकड़े क्या कहते हैं. केंद्र के ड‍िसीजन सपोर्ट स‍िस्टम (DSS) के आंकड़ों से पता चला है कि रविवार को दिल्ली के PM 2.5 में पराली जलाने का योगदान स‍िर्फ 3.34 फीसदी ही था. यह शनिवार को लगभग 5.5 और शुक्रवार को 14.6 फीसदी था. इस सीजन में दिल्ली के PM 2.5 में पराली का सबसे अधिक योगदान 23 अक्टूबर को था, वो भी महज 15.97 फीसदी. इसके बावजूद द‍िल्ली वाले इस प्रदूषण के ल‍िए स‍िर्फ क‍िसानों को कोस रहे हैं.

द‍िल्ली-एनसीआर में अक्टूबर-नवंबर के दौरान प्रदूषण अध‍िक होने की एक बड़ी वजह मौसम का रुख भी है. नमी बढ़ जाती है और हवा के बहाव में कमी आ जाती है. वरना गेहूं की पराली जलने पर भी जरूर हाहाकार मचता. हवा की गत‍ि तेज हो तो हालात इतने खराब नहीं रहेंगे. इस बात की तस्दीक करती हुई एक र‍िपोर्ट आई है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, सोमवार को दक्षिण-पूर्वी सतही हवाओं के कारण दिल्ली के प्रदूषण स्तर में उल्लेखनीय सुधार हुआ. जिसकी वजह से यहां का एयर क्वाल‍िटी इंडेक्स (AQI) “बहुत खराब” श्रेणी में पहुंचने के एक दिन बाद “खराब” श्रेणी में आ गया. यानी क‍ि हवा का रुख बदलता है तो पराली प्रदूषण कम हो जाता है. इसके बावजूद द‍िल्ली के लोग क‍िसानों को ही ब्लेम करते हैं. 

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हवा ने बदले हालात 

बोर्ड के मुताब‍िक सोमवार को दिल्ली का 24 घंटे का औसत AQI शाम 4 बजे 304 (बहुत खराब) था. शाम 6 बजे तक यह 299 (खराब) और रात 10 बजे 288 हो गया. इसकी तुलना में, रविवार को शाम 4 बजे औसत AQI 356 (बहुत खराब) था. सोमवार को औसत AQI की गणना दिल्ली के 40 वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों में से 36 के डेटा के आधार पर की गई थी. इनमें से 21 स्टेशन 'बहुत खराब' श्रेणी में थे, जिसमें सबसे ज़्यादा खराब स्थ‍ित‍ि बुराड़ी (365) स्टेशन और उसके बाद मुंडका (348) की थी. एक्यूआई 301 से 400 के बीच हो तो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में माना जाता है, जबक‍ि उससे कम यानी 201 से 300 के बीच हो तो उस क्षेत्र की वायु गुणवत्ता को ‘खराब’ माना जाता है. 

मौसम व‍िज्ञानी ने क्या कहा? 

स्काईमेट मौसम विज्ञान के वाइस प्रेसीडेंट महेश पलावत ने एचटी से बातचीत में कहा कि दिल्ली में AQI में सुधार 10-18 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दक्षिण-पूर्वी हवाओं के कारण हुआ है. उन्होंने कहा, "हमने 26 अक्टूबर को हवा की दिशा उत्तर-पश्चिमी से बदलते हुए देखी और पराली जलाने की मात्रा कम हो गई. स्थानीय हवा की गति, जो रविवार और सोमवार को दिन के दौरान 10-18 किलोमीटर प्रति घंटे थी, मंगलवार से कम होने की संभावना है. पलावत ने कहा क‍ि दिवाली तक हवा की दिशा में भी बदलाव होने का अनुमान है, ज‍िससे प्रदूषण में पराली का प्रभाव फिर से बढ़ सकता है.

कब तक रहेगी राहत? 

हालांकि, यह राहत थोड़े समय के लिए ही रहने वाली है, क्योंकि दिवाली के आसपास दिल्ली में दोहरी मार पड़ने की संभावना है. हवा की दिशा उत्तर-पश्चिमी होने की संभावना है, जिससे उत्तरी राज्यों में खेतों में लगी आग से प्रदूषक आएंगे. दिवाली पर पटाखे फोड़ने की संभावना के साथ, दिल्ली के लिए केंद्र की अर्ली वार्न‍िंग स‍िस्टम (EWS) ने पूर्वानुमान लगाया है कि इससे राजधानी की वायु गुणवत्ता “गंभीर” श्रेणी में पहुंच जाएगी. अगर 401 से 500 के बीच AQI हो तब उसे ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है.   

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