इस बार ठंड पड़ेगी न शीतलहर, IMD ने दिया चौंकाने वाला पूर्वानुमान, फसलों पर होगा गंभीर असर

इस बार ठंड पड़ेगी न शीतलहर, IMD ने दिया चौंकाने वाला पूर्वानुमान, फसलों पर होगा गंभीर असर

मौसम विभाग ने कहा है कि इस सीजन में देश के अधिकांश भागों में सामान्य से अधिक अधिकतम तापमान रहने की संभावना है. ये सभी संकेत बताते हैं कि इस बार तापमान में बढ़ोतरी रहेगी और लोगों को कम ठंड महसूस होगी. लोगों को ठंड से भले ही राहत मिले, लेकिन फसलों को राहत नहीं मिलेगी.

Advertisement
इस बार ठंड पड़ेगी न शीतलहर, IMD ने दिया चौंकाने वाला पूर्वानुमान, फसलों पर होगा गंभीर असरगेहूं की खेती

मौसम विभाग ने सोमवार को कहा कि भारत में हल्की सर्दी पड़ने की संभावना है और शीत लहर वाले दिन कम होंगे. साथ ही, मौसम विभाग ने इस मौसम में सामान्य से अधिक न्यूनतम तापमान रहने का अनुमान जताया है. न्यूनतम तापमान अधिक रहने का सीधा मतलब है कि सर्दी कम पड़ेगी. ऐसे में रबी फसलों पर असर देखा जा सकता है. 

मौसम विभाग ने कहा है कि इस सीजन में देश के अधिकांश भागों में सामान्य से अधिक अधिकतम तापमान रहने की संभावना है. ये सभी संकेत बताते हैं कि इस बार तापमान में बढ़ोतरी रहेगी और लोगों को कम ठंड महसूस होगी. लोगों को ठंड से भले ही राहत मिले, लेकिन फसलों को राहत नहीं मिलेगी. 

फसलों की बुवाई में देरी

रबी की फसलों में आमतौर पर आलू, सरसों, चना, मसूर, लहसुन, जीरा, सौंफ और धनिया की बुवाई अक्टूबर से मध्य नवंबर तक होती है. इसके बाद नवंबर-दिसंबर में गेहूं और दिसंबर-जनवरी में प्याज की बुवाई होती है. अक्टूबर महीने से बात करें तो उसी समय से तापमान में गिरावट शुरू हो जानी चाहिए थी और रबी फसलों की बुवाई होनी थी. लेकिन अक्टूबर और मध्य नवंबर तक न्यूनतम तापमान में वृद्धि देखी गई जिससे कई फसलों की बुवाई पर असर देखा गया. फसलें की बुवाई देर से शुरू हुई.

ये भी पढ़ें: कम ठंडी का आलू पर दिखने लगा असर, पैदावार में भारी कमी से किसान परेशान

दिसंबर में भी तापमान में बढ़ोतरी है और आगे आईएमडी ने ऐसा ही ट्रेंड जारी रहने का अनुमान लगाया है. अक्टूबर में सामान्य से अधिक तापमान के कारण जीरा और अन्य बीज मसालों (जैसे जीरा और सौंफ) की बुवाई में देरी हुई. पहले से बोई गई फसल में अंकुरण कम होने की खबर है. 

यदि तापमान बहुत अधिक हो तो आलू के बीज भी ठीक से अंकुरित नहीं हो पाते और पर्याप्त कंद नहीं बन पाते. यूपी में किसान आमतौर पर अक्टूबर के मध्य से नवंबर के मध्य तक आलू की बुवाई करते हैं. लेकिन इस सीजन में उन्होंने 20-22 अक्टूबर के बाद से ही बुवाई शुरू की.

एक तो देर से बुवाई और उसके बाद तापमान का लगातार बढ़े रहना फसलों की सेहत के लिए ठीक नहीं है. यहां तक कि आलू की पैदावार घटने की खबर है. जो नया आलू अभी निकल रहा है, उसका उत्पादन गिर गया है. सरसों की जहां तक बात है तो अक्टूबर में अधिक तापमान की वजह से बुवाई में देरी हुई. इस देरी के चलते अंकुरण कम हुआ और फसल पर बैक्टीरिया का संक्रमण देखा गया. 

कुछ फसलों की बुवाई पिछड़ी

सरसों प्रधान राज्यों में इसकी बुवाई में कमी दर्ज की गई है. राजस्थान में 40.5 लाख हेक्टेयर में सरसों की बुवाई का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन 32.3 लाख हेक्टेयर में ही खेती हो पाई. इस कमी के पीछे एक बड़ी वजह तापमान में वृद्धि को भी बताया जा रहा है. हालांकि एक कारण ये भी है कि किसानों ने सरसों के अलावा कुछ नकदी फसलों की ओर रुख किया है ताकि उन्हें कम समय में अधिक कमाई मिल सके.

सरसों में गिरावट की इन तमाम घटनाओं के बीच राजस्थान के किसान मावठ के इंतजार में हैं जो मध्य दिसंबर से जनवरी के पहले हफ्ते तक बारिश के रूप में गिरती है. अगर मावठ गिरती है तो सरसों सहित सभी रबी फसलों का भला हो जाएगा.

ये भी पढ़ें: उपज घटेगी, किसानों की कमाई भी होगी कम! खादों की सप्लाई में गिरावट है बड़ी वजह

उधर राजस्थान से सटे गुजरात में रबी की बुवाई में काफी देरी हुई है. मॉनसून के लंबे समय तक चलने और अधिक तापमान के कारण औसत क्षेत्रफल का केवल 46 परसेंट ही कवर किया गया है. गेहूं, चना, सरसों और आलू प्रमुख फसलें बनी हुई हैं, जबकि जीरा, सौंफ और इसबगोल जैसे मसालों का कवरेज कम हो गया है. मौसम से जुड़ी चुनौतियों के बावजूद, अधिकारियों को आने वाले हफ्तों में रबी की बुवाई में सुधार की उम्मीद है. चना और सरसों जैसी फसलों ने मध्यम प्रगति दिखाई है, जो क्रमशः 3.87 लाख और 1.8 लाख हेक्टेयर में फैली है.

 

POST A COMMENT