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भारत पर इस साल भी मंडरा रहा अल-नीनो का खतरा, क्या इस बार भी घटेगी मॉनसून की बारिश?

भारत पर इस साल भी मंडरा रहा अल-नीनो का खतरा, क्या इस बार भी घटेगी मॉनसून की बारिश?

ऑस्ट्रेलिया के ब्यूरो ऑफ मेटरोलॉजी और जापान मेटरोलॉजिकल एजेंसी ने अपने ताजा वेदर अपडेट में अल-नीनो के बारे में बताया है. कुछ इसी तरह का अनुमान अमेरिका के क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर ने भी जारी किया है. इस सेंटर के मुताबिक इस साल की छमाही के बाद दुनिया के कई हिस्सों में अल-नीनो की स्थिति बनेगी और इसका प्रभाव साल के अंत तक देखी जा सकती है.

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अल-नीनो के चलते भारत में कई मौसमी बदलाव देखे जा सकते हैं अल-नीनो के चलते भारत में कई मौसमी बदलाव देखे जा सकते हैं

ऑस्ट्रेलिया के ब्यूरो ऑफ मेटरोलॉजी और जापान मेटरोलॉजिकल एजेंसी ने अपने ताजा वेदर अपडेट में अल-नीनो के बारे में बताया है. कुछ इसी तरह का अनुमान अमेरिका के क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर ने भी जारी किया है. इस सेंटर के मुताबिक इस साल की छमाही के बाद दुनिया के कई हिस्सों में अल-नीनो की स्थिति बनेगी और इसका प्रभाव साल के अंत तक देखी जा सकती है.

दूसरी ओर, संयुक्त राष्ट्र की संस्था वर्ल्ड मेटरोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन (WMO) ने बताया है कि अल-नीनो और ला-नीना के पूर्वानुमान को बहुत ही सावधानी के साथ जारी किया जाना चाहिए. डब्ल्यूएमओ का कहना है कि अभी अल-नीनो या अल-नीना का पूर्वानुमान बहुत पहले हो जाएगा, इसलिए सावधानी के साथ इसे जारी किया जाना चाहिए.

क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट जारी की है जिसमें अल-नीनो और ला-नीना की संभावना जताई गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 की गर्मियों में जुलाई-सितंबर के बीच अल-नीनो की स्थिति बनेगी और अक्टूबर-नवंबर तक चल सकती है. कुछ इसी तरह की बात ऑस्ट्रेलिया के ब्यूरो ऑफ मेटरोलॉजी ने कहा है. एजेंसी के मुताबिक, इस साल की छमाही के बाद अल-नीनो बन सकता है, इसलिए इसे निगरानी की केटेगरी में रखा गया है.

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जापान मेटरोलॉजिकल एजेंसी ने कहा है कि इस साल 50 परसेंट तक अल-नीनो की संभावना है. इससे पहले 2020-21, 2021-22 में अल-नीनो की स्थिति देखी गई थी और अब फिर 2023 में भी इसकी संभावना बनती है. अल-नीनो बनने की संभावना के बारे में कहा गया है कि अप्रैल-जून से इसके शुरू होने की 15 परसेंट संभावना है जबकि मई-जुलाई में यह 35 परसेंट तक जा सकता है. जून-अगस्त में 55 परसेंट तक अल-नीनो की संभावना है. 

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अल-नीनो की स्थिति तब बनती है जब प्रशांत महासागर का सतही पानी सामान्य से अधिक गर्म हो जाता है. पूर्व में इसका प्रभाव भारत में देखा गया है जिससे दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की बारिश कम हुई थी. इसी तरह की स्थिति 2014 में देखी गई थी जब अल-नीनो के चलते बारिश में 42 परसेंट की कमी दर्ज की गई थी. अगर इस साल भी ऐसी स्थिति बनती है तो बारिश में कमी आ सकती है. हालांकि भारतीय एजेंसियां अभी इसकी आशंका जताना उचित नहीं मान रही हैं.