Weather Weekly Report: फरवरी महीने में बढ़ते तापमान के कारण पछेती गेहूं, सरसों सहित अन्य फसलों पर असर दिख रहा है. तापमान में बढ़ोतरी होने से किसानों की चिंता बढ़ा दी है. वहीं समस्तीपुर डॉ राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा की ओर से 22 से 26 फरवरी के बीच का कृषि साप्ताहिक रिपोर्ट जारी की है. इस अवधि के दौरान तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ोतरी देखी जा सकती है. वहीं आने वाले पांच दिन में तापमान 30 से 32 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने का अनुमान है. पूसा समस्तीपुर के कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इस समय अवधि में पछेती सरसों में लाही लगने की संभावना ज्यादा रहती है. इसलिए किसान कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें. साथ ही प्याज की फसल में थ्रिप्स कीट लगने की अधिक संभावना है.
वहीं अगात गेहूं की दाना बनने से दूध भरने की अवस्था वाली फसल में नमी बनाए रखने की जरूरत है.मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार राज्य के अधिकांश जिलों में आसमान साफ रहेगा. आने वाले एक सप्ताह के शुरुआती दो दिन पछिया हवा 4 से 6 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलेगी.
वहीं 26 फरवरी को पूरवा हवा चलेगी. केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय समस्तीपुर पूसा की ग्रामीण कृषि मौसम सेवा एवं मौसम विभाग के सहयोग से जारी साप्ताहिक रिपोर्ट के अनुसार आने वाले 22 से 26 फरवरी के बीच मौसम शुष्क रहने का अनुमान है. 6 दिनों के दौरान अधिकतम तापमान 30 से 32 डिग्री सेल्सियस एवं न्यूनतम तापमान 12 से 15 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा.
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कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इस दौरान पछेती सरसों में लाही लगने की संभावना बढ़ जाती है.इसके निवारण के लिए किसान डाईमेथोएट 30 ईसी दवा का 1 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर साफ मौसम में छिड़काव करें. इसके साथ ही प्याज की फसल में थ्रिप्स कीट की निगरानी करें. यह कीट प्याज की फसल को काफी नुकसान पहुंचाती है. तापमान में बढ़ोतरी होने के दौरान फसल में इस कीट की सक्रियता बढ़ जाती है. थ्रिप्स कीट अति सूक्ष्म होते हैं, जो पत्तियों की सतह पर चिपक कर रस चूसते है. जिससे के कारण पत्तियों का ऊपरी हिस्सा टेढ़ा-मेढ़ा हो जाता है.
प्याज की पत्तियों पर दाग दिखाई देने लगता है. थ्रिप्स कीट की अधिक संख्या फसल पर दिखाई देने पर प्रोफेनोफॉस 50 ईसी दवा का 1 मिली प्रति लीटर पानी या इमिडक्लोराइड दवा का एक मिली प्रति 4 लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करने की जरूरत है.
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समय अक्टूबर-नवंबर महीने में रोपी गई गन्ने की फसल में हल्की सिंचाई करने का सही समय है. इसके साथ ही रबी मक्का की धनबाल व मोचा निकलने से दाना बनने की अवस्था वाली फसल में नमी बनाए रखने की जरूरत है. साथ ही अगात गेहूं की दाना बनने से दूध भरने की अवस्था वाली फसल में नमी बनाए रखने की जरूरत है.
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसान इस समय बसन्तकालीन गन्ने एवं शकरकंद की रोपाई एवं बुआई कर सकते हैं. साथ ही गरमा सब्जी भिंडी, कद्दू, करेला, खीरा सहित अन्य सब्जियों की खेती करने के लिए सही मौसम एवं समय है. इसके साथ ही पशुओं के चारे के लिए किसान ज्वार, मकई,और बाजरे की बुआई कर सकते हैं. वहीं गरमा मक्का की बुआई के लिए भी अनुकूल समय है. साथ ही किसान सूरजमुखी की भी खेती कर सकते है.
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