मॉनसून को लेकर हमारे देश की एक पारंपरिक समझ रही है. मौसम विभाग के अलावा हर राज्य में लोग अपने पारंपरिक सहज ज्ञान के आधार पर मॉनसून का अंदाजा लगाते हैं. ऐसी ही एक परंपरा जयपुर में भी है. यह मॉनसून के बारे में यह 250 साल पुराना टेस्ट है. सोमवार को कई ज्योतिषाचार्यों ने हवा के वेग और दिशा से मॉनसून के बारे में अनुमान लगाया. इसके अनुसार इस साल प्रदेश में अच्छी बारिश होगी. साथ ही पूरे प्रदेश में रुक-रुक कर बारिश आएगी. बाढ़ भी आ सकती है और बांधों को भी नुकसान पहुंच सकता है.
बारिश के अनुमान की ये परंपरा जयपुर के जंतर-मंतर पर की जाती है. हर साल आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को बारिश का अनुमान लगाया जाता है. इसीलिए सोमवार को पूर्णिमा के दिन सूर्यास्त के बाद शाम 7.21 बजे इस साल का परीक्षण किया गया. इसमें जयपुर शहर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य शामिल होते हैं. इसी परीक्षण के आधार पर यह भविष्यवाणी की गई है कि इस साल अच्छी बारिश होगी. अन्न की कोई कमी नहीं आएगी.
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि मॉनसून को लेकर यह टेस्ट हर साल लगभग सटीक बैठता है. दरअसल, हवा की स्पीड के आधार पर बारिश की भविष्यवाणी की जाती है. इसीलिए सोमवार को जब झंडा जंतर-मंतर के सम्राट यंत्र पर लगाया गया तो हवा की वजह से यह पश्चिम से पूर्व की तरफ था. इस साल बुध राजा है. गुरु मेघेश हैं और शुक्र मंत्री हैं. इसीलिए अच्छी बारिश का योग बना है.
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जयपुर की तरह पूरे राजस्थान में बारिश की अपनी पारंपरिक समझ है. इसीलिए मॉनसून के आने पर समाज का हर वर्ग उत्साहित रहता है और इन भविष्यवाणियों को गंभीरता से लेता है. पश्चिमी राजस्थान के लोकगीतों और कहावतों में मानसून को लेकर कई भविष्यवाणियां हैं. यहां की कहावतों में खासी प्रसिद्ध है कि “आज रे उत्तरीए में हांजी धूंधको रे, बरसे मोंजे जैसोणे रो मेह” लोकगीत गाकर देते हैं. यानी ‘आज उत्तर दिशा में धुंध भरे बादल और घटाएं उमड़ रही हैं. जैसाणे यानी जैसलमेर (मतलब पूरा पश्चिमी राजस्थान) में मेह बरसेगा.’
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राजस्थानी साहित्यकारों और लोकगायकों के अनुसार राज्य में बादलों के सौ से ज्यादा पर्यायवाची शब्द हैं. ठंडी हवा साथ लाने वाले बादलों को ‘कळायण’, रूई जैसे बादलों को ‘सिखर’, छितराए हुए बादलों को ‘छितरी’, अकेला छोटा बादल ‘चूंखो’ और ऐसा काला बादल जिसके आगे सफेद पताका दिखे उसे ‘कागोलड़’ कहते हैं.” यह इत्तफाक ही कहा जाएगा कि वर्ल्ड मेटेरेलोजिकल ऑर्गनाईजेशन (WMO) भी कहता है कि आसमान में करीब सौ तरीके के बादल होते हैं.
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