देश के कई हिस्सों में हो रही भारी बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है. सबसे चिंताजनक स्थिति गुजरात के मेहसाणा जिले के कृषि उपज मंडी समिति (APMC) के रोड की है, जो पूरी तरह से जलमग्न हो चुका है और अब किसी 'टापू' जैसा नज़र आ रहा है. विसनगर क्षेत्र में हुई चार इंच से ज़्यादा बारिश ने APMC रोड को पानी में डुबो दिया है. सड़क पर इतना पानी भर गया है कि वहां से गुजरना बेहद मुश्किल हो गया है. इस रोड पर बनी दुकानों में भी पानी घुस गया है जिससे व्यापारियों को करोड़ों के नुकसान का डर सता रहा है.
हैरानी की बात यह है कि पानी की निकासी के लिए पहले ही करोड़ों रुपये खर्च कर पाइपलाइन बिछाई गई थी, लेकिन फिर भी समस्या जस की तस बनी हुई है. इससे स्थानीय लोगों में काफी नाराज़गी है. उनका कहना है कि योजनाएं केवल कागज़ों पर हैं, ज़मीन पर नहीं.
श्योपुर जिले के विजयपुर ब्लॉक के गांव सहसराम में मुक्तिधाम जाने वाले रास्ते पर भी जलभराव की वजह से लोगों को कमर तक पानी में चलकर अंतिम संस्कार करने जाना पड़ा. शनिवार को दो महिलाओं की मृत्यु के बाद जब ग्रामीणों ने शव यात्रा निकाली, तो पानी में चलना उनकी मजबूरी बन गया. इससे ग्रामीणों में भारी गुस्सा है.
झारखंड के जमशेदपुर में खरखाई और स्वर्णरेखा नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है. इससे बागबेड़ा जैसे इलाके बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. एनडीआरएफ की टीम ने मोर्चा संभाल लिया है और अब तक करीब 150 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है.
बारिश हर साल होती है, और जलभराव की समस्या भी हर साल सामने आती है. लेकिन सवाल यह है कि इतने वर्षों में भी इसका स्थाई समाधान क्यों नहीं हो सका? पाइपलाइन, नाले और ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने की सख्त जरूरत है. APMC जैसी महत्वपूर्ण जगहों पर जलभराव केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि एक प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा भी है. जब तक नगर निकाय, पंचायत और सरकारें मिलकर ठोस योजना नहीं बनाएंगी, तब तक हर बारिश के बाद जनता को इसी तरह परेशान होना पड़ेगा.
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