Jharkhand Weather: झारखंड में चारों ओर सूखा ही सूखा, 38 फीसदी धान रोपनी ने बढ़ाई किसानों की परेशानी

Jharkhand Weather: झारखंड में चारों ओर सूखा ही सूखा, 38 फीसदी धान रोपनी ने बढ़ाई किसानों की परेशानी

मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक अभिषेक आनंद ने बताया कि पिछले 24 घंटे में राज्य के कई स्थानों पर हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश दर्ज की गई जबकि कुछ स्थानों पर भारी बारिश भी दर्ज की गई है. लोहरदगा जिले में सबसे अधिक 86 एमएम बारिश दर्ज की गई.

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Jharkhand Weather: झारखंड में चारों ओर सूखा ही सूखा, 38 फीसदी धान रोपनी ने बढ़ाई किसानों की परेशानीबारिश की कमी के कारण सूखते खेत फोटोः किसान तक

बारिश की कमी के कारण झारखंड के किसान एक बार फिर सूखे के संकट का सामना कर रहे हैं. बारिश के आंकड़ों ने राज्य को एक बार फिर निराश किया है. यह लगातार तीसरा सीजन है जब किसान सूखे का सामना कर रहे हैं. सबसे पहले 2022 के खरीफ सीजन में सूखा पड़ा, फिर उसी साल रबी सीजन भी पूरी तरह सूखा ही रहा.इसके बाद फिर से खरीफ सीजन में सूखे का संकट है. हालात को देखते हुए किसान मान रहे हैं कि इस बार सूखा पड़ गया है. हालांकि अभी तक सरकार की तरफ से सूखे की अधिकारिक घोषणा नहीं की गई है. हाल ही में कृषि मंत्री ने कहा कि 15 सितंबर तक हालात की समीक्षा की जाएगी उसके बाद इसकी रिपोर्ट केंद्र को भेजी जाएगी. 

मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक अभिषेक आनंद ने बताया कि पिछले 24 घंटे में राज्य के कई स्थानों पर हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश दर्ज की गई जबकि कुछ स्थानों पर भारी बारिश भी दर्ज की गई है. लोहरदगा जिले में सबसे अधिक 86 एमएम बारिश दर्ज की गई. उन्होंने कहा कि 24 अगस्त को भी पूरे झारखंड में हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश हो सकती है इसके अलावा एक दो जगहों पर भारी बारिश देखने के लिए मिल सकती है. जबकि अगस्त को फिर से बारिश में कमी आएगी, हालाकि कुछ कुछ स्थानों पर गर्जन के साथ बारिश हो सकती है. 

राज्य में अब तक 35 फीसदी कम हुई है बारिश

राज्य में अब तक हुए बारिश के आंकड़ों को देखे तो अब तक झारखंड में अभी तक 484.4 एमएम बारिश हुई है, जबकि एक जून से 24 अगस्त तक सामान्य बारिश 744 एमएम होती है. बारिश का विचलन इस बार 35 फीसदी कम है. राज्य के चार जिले गोड्डा, साहिबगंज,सिमडेगा और पूर्वी सिंहभूम में सामान्य बारिश दर्ज की गई है. वहीं 18 जिले ऐसे हैं जहां पर सामान्य से कम बारिश हुई है. जबकि चतरा जिला ऐसा है जहां पर बेहद कम बारिश हुई है. यहां सूखे की स्थिति और गंभीर है. 

घट गया धान की खेती का रकबा

बारिश में देरी और कमी का सीधा असर राज्य में धान की खेती पर पड़ा है. राज्य में 18 लाख हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य रखा गया था. जबकि अभी तक लक्ष्य के मुकाबले मात्र 38 फीसदी कृषि योग्य जमीन में धान की खेती हो पाई है. जिन किसानों के पास सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध था उन्होंने किसी तरह सिंचाई करके धान की रोपाई की है. अब वो किसान भी चिंतित हैं कि अगरे आने वाले दिनों में बारिश नहीं होती है तो फसल कैसे ले पाएंगे. इसके अलावा किसानों की हालत ऐसी है कि जो किसान पहले सात से आठ एकड़ में खेती करते थे वो किसान अब मात्र 50 डिसमिल से एक एक़ड तक में सिमट गए हैं.   

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