
किसानों की असली सफलता तब मानी जाती है जब उन्हें अपनी मेहनत का पूरा फल मिले- यानी फसलों से अच्छा उत्पादन और सही दाम. लेकिन यह तभी मुमकिन है जब फसलों को समय पर और संतुलित पोषण मिले. यहीं पर Yara India का योगदान सामने आता है. यह कंपनी वैज्ञानिक तरीकों से फसल पोषण में सुधार कर रही है और किसानों को उन्नत खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है.
महाराष्ट्र के सांगली जिले में, जो देश के प्रमुख गन्ना उत्पादन क्षेत्रों में से एक है, Yara India ने किसानों की खेती में बड़ा बदलाव लाया है. वैज्ञानिक तरीकों से फसल पोषण प्रदान करके न सिर्फ उत्पादकता बढ़ाई, बल्कि मिट्टी के स्वास्थ्य में भी सुधार किया.
बवची गांव के रोहित रकाटे कहते हैं कि वो पिछले 10 साल से अपने तीन एकड़ खेत में गन्ना उगा रहे हैं. पहले उन्हें खेती में कई समस्याएं आती थीं- जैसे कम उत्पादन, खराब मिट्टी की स्थिति, ज़्यादा क्लोराइड की मात्रा और असमान टिलरिंग. वे पारंपरिक उर्वरकों का इस्तेमाल करते थे, जिनसे लागत तो बढ़ती थी लेकिन उपज में कोई खास फायदा नहीं होता था. ऐसे में उनकी आमदनी पर भी असर पड़ रहा था और खेती से मन भी हताश हो रहा था.
रोहित रकाटे की किस्मत तब बदली जब उन्होंने Yara India के वैज्ञानिक समाधान अपनाने शुरू किए. उन्होंने YaraMila Complex, YaraLiva Nitrabor और YaraVita Seniphos जैसे उर्वरकों का इस्तेमाल किया. इन उर्वरकों को फसल के अलग-अलग चरणों में प्रयोग किया गया, जिससे फसल को संतुलित पोषण मिला. इसका असर पहले ही साल नजर आने लगा, जब उत्पादन में 10 से 15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई. गन्ने की बढ़वार बेहतर हुई, टिलरिंग समान रूप से हुई और फसल का वजन भी पहले से ज़्यादा हुआ.
यारा के इन उर्वरकों का असर सिर्फ मात्रा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि गुणवत्ता में भी बड़ा सुधार हुआ. रोहित के खेत में पहले जहां एक एकड़ में 50 से 55 मीट्रिक टन गन्ना होता था, अब वही खेत 70 मीट्रिक टन प्रति एकड़ देने लगा. इसके अलावा गन्ने की मिठास, यानी शुगर रिकवरी भी बेहतर हुई. मिट्टी की सेहत में सुधार हुआ और क्लोराइड का असर कम हो गया, जिससे खेत लंबे समय तक टिकाऊ और उपजाऊ बने रहने की संभावना बढ़ी.
रोहित रकाटे बताते हैं कि YaraMila Complex पूरी तरह से पानी में घुलने वाला उर्वरक है, जिससे पौधों को सभी जरूरी पोषक तत्व सही मात्रा में और समय पर मिल जाते हैं. इससे उनकी उत्पादन लागत कम हुई और उपज बढ़ गई. वे कहते हैं, “मैं सभी किसानों को यही सलाह दूंगा कि वे ऐसे समाधान अपनाएं जो उन्हें आज भी फायदा दें और भविष्य में भी टिकाऊ रहें.” उनकी यह सफलता अब गांव के दूसरे किसानों को भी प्रेरित कर रही है.
रोहित की सफलता से बवची गांव और आसपास के क्षेत्रों में यारा के उर्वरकों के प्रति विश्वास बढ़ा है. अब अन्य किसान भी इन वैज्ञानिक तरीकों को अपनाने में रुचि दिखा रहे हैं. यह बदलाव दिखाता है कि जब फसल को सही समय पर सही पोषण मिले, तो न केवल उत्पादन और आमदनी बढ़ती है, बल्कि मिट्टी भी स्वस्थ रहती है और जलवायु के प्रति संवेदनशील (climate-smart) खेती को बढ़ावा मिलता है.
Yara India की यह पहल सांगली में एक नई खेती क्रांति की शुरुआत बन गई है. यह उदाहरण यह साबित करता है कि सही उर्वरक, सही समय पर और सही मात्रा में इस्तेमाल करने से किसान की मेहनत को असली सोना बनाया जा सकता है. यह न केवल किसानों के जीवन को बेहतर बनाता है, बल्कि देश की कृषि व्यवस्था को भी मजबूती देता है.
यह कहानी सिर्फ एक किसान की नहीं, बल्कि पूरे भारत के किसानों के लिए एक सीख है. जब विज्ञान और खेती का मेल होता है, तो परिणाम बेहद सकारात्मक होते हैं. Yara India जैसे संगठनों के सहयोग से किसान आत्मनिर्भर बन सकते हैं और खेती को एक लाभदायक व्यवसाय में बदल सकते हैं.
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