उत्तराखंड में किसान ने लगाए एवोकाडो के 100 पेड़, अब सालाना 10 लाख रुपये है कमाई

उत्तराखंड में किसान ने लगाए एवोकाडो के 100 पेड़, अब सालाना 10 लाख रुपये है कमाई

एक किसान ने 10 वर्षों से अधिक की कड़ी मेहनत से एक अनोखा कारनामा कर दिखाया है. इस किसान ने उत्तराखंड का देश भर में नाम रोशन कर दिया है. किसान ने अपने एक एकड़ खेत में मेक्सिको के प्रमुख फल एवोकाडो का बाग लगाया है.

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उत्तराखंड में किसान ने लगाए एवोकाडो के 100 पेड़, अब सालाना 10 लाख रुपये है कमाईएवोकाडो की खेती

उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले के एक किसान ने 10 वर्षों से अधिक की कड़ी मेहनत से एक अनोखा कारनामा कर दिखाया है. इस किसान ने उत्तराखंड का देश भर में नाम रोशन कर दिया है. दरअसल, तराई क्षेत्र के पिपलिया गांव के किसान राहुल प्रकाश ने अपने एक एकड़ खेत में मेक्सिको के प्रमुख फल एवोकाडो का बाग सफलतापूर्वक लगाया है. 2014 में शुरू किया गया यह बाग अब तैयार हो गया है और एवोकाडो, जिसे भारत में बटर फ्रूट भी कहा जाता है, वो भरपूर फल दे रहा है. आइए जानते हैं इस किसान की सफलता की कहानी.

एवोकाडो की खेती का पहला प्रयास

किसान राहुल प्रकाश ने बताया कि दक्षिण भारत में सदियों से एवोकाडो के पेड़ उगाए जाते रहे हैं, लेकिन उत्तराखंड में यह बड़े पैमाने पर एवोकाडो की खेती का पहला प्रयास है. ये पेड़ जिनमें फल लगने में लगभग पांच साल लगते हैं, वो अब तराई क्षेत्र की जलवायु में फल-फूल रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस बाग ने उनकी उम्मीदों से बढ़कर फल दिया है. वहीं, हर पेड़ से सालाना लगभग 50 किलो फल निकलते हैं.

200 रुपये प्रति किलो बेचते हैं फल

एवोकाडो की मांग बहुत ज्यादा है, खासकर महानगरीय इलाकों में, जहां इसे बड़े होटलों में सलाद के रूप में परोसा जाता है. इस फल की लोकप्रियता और स्वास्थ्य लाभों के कारण इसकी कीमत लगभग 200 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है, जो सेब से भी ज्यादा है. राहुल प्रकाश अपनी उपज दिल्ली, जयपुर और मुंबई जैसे बड़े शहरों में बेचते हैं. उन्होंने कहा कि बाजार में उनके उत्पाद की बहुत अच्छी प्रतिक्रिया रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि वो महानगरों में अपने एवोकाडो को अच्छी कीमतों पर बेच रहे हैं.

10 लाख रुपये की हो रही सालाना कमाई

राहुल प्रकाश ने बताया कि उनके एक एकड़ के बाग में एवोकाडो के 100 पेड़ हैं. वहीं, हर पेड़ से उन्हें 50 किलो फल मिलते हैं. उन फलों को वे बाजार में लगभग 200 रुपये किलो की कीमत पर बेचते हैं. इस हिसाब से उनकी कमाई लगभग 10 लाख रुपये सालाना है. साथ ही उन्होंने बताया कि उनके बाग में आम के भी 100 पेड़ हैं. लेकिन आम से उनकी एवोकाडो जितनी कमाई नहीं होती है. साथ ही उन्होंने बताया कि एवोकाडो की शेल्फ लाइफ अधिक होती है, इसलिए इसे बेचने में आसानी होती है.

उत्तराखंड में एवोकाडो की खेती का विस्तार

बता दें कि एवोकाडो पेड़ पर नहीं पकते.कटाई के बाद ये रेफ्रिजरेटर करने पर ताज़ा रहते हैं और कमरे के तापमान पर कुछ दिनों में पक जाते हैं. कटाई के बाद की यह विशेषता इन्हें सलाद के लिए आदर्श बनाती है, जिससे यह तय होता है कि उपभोक्ता तक पहुंचने तक इनकी ताज़गी और पोषण बरकरार रहे. राहुल प्रकाश के बाग की सफलता के साथ उत्तराखंड में एवोकाडो की खेती के विस्तार के लिए तैयार है, जिससे किसानों को भरपूर कमाई देने वाली नई फसल मिलेगी और खरीदारों को एक बेहतरीन फल मिलेगा.  

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