
अगर कोई कहे कि बालकनी या छत में 25–30 तरह की सब्ज़ियां उगाई जा सकती हैं तो सुनकर यक़ीन करना मुश्किल होगा. लेकिन दिल्ली के मिथिलेश कुमार सिंह ने इसे हकीकत बना दिखाया है. वे ड्रेनेज पाइप से बने छोटे-छोटे टावर में भिंडी, लौकी, बैंगन, मिर्च, करेला, धनिया, साग और मौसमी फल तक उगा लेते हैं.
मिथिलेश के बनाए पाइप के टावर महज़ तीन फ़ुट ऊंचे हैं. हर टावर में कम से कम पांच सब्ज़ियां आसानी से लगाई जा सकती हैं. ये टावर जगह भी बहुत कम घेरते हैं, एक गमले से भी कम. उनकी छत पर दर्जनों टावर रखे हैं, जहां नींबू, नीम, सहजन, फली और मौसमी फल तक मिल जाते हैं.
पहले मिथिलेश एक कंप्यूटर इंजीनियर थे. कोविड-19 के दौरान छत पर टहलते-टहलते उन्हें यह आइडिया आया और उन्होंने एक्सपेरिमेंट शुरू किया. एक साल पहले पत्नी विंध्यावासिनी सिंह के साथ उन्होंने अपना स्टार्टअप लॉन्च कर दिया. आज दिल्ली–एनसीआर में 150 से ज़्यादा घरों में उनके बनाए टावर पहुंच चुके हैं.
मिथिलेश और उनकी पत्नी बताते हैं कि पैसा कमाना उनका पहला मक़सद नहीं है. वे कहते हैं, "अगर कोई अपने घर में इस तरह के टावर बनाना चाहता है, सब्ज़ियां उगाना चाहता है तो हम फ़्री में मदद करते हैं. हमारा मक़सद है लोग शुद्ध खाएं."
आलू–प्याज़ छोड़कर सब कुछ घर में उगाते हैं. मिथिलेश और उनकी पत्नी विंध्यावासिनी बताते हैं कि बाज़ार से उन्हें सिर्फ़ आलू और प्याज़ खरीदने की ज़रूरत पड़ती है. बाकी लगभग सभी सब्ज़ियां और कई फल उनके मिनी गार्डन से ही आ जाते हैं.
मिथिलेश का मानना है कि गार्डनिंग न सिर्फ़ शुद्ध भोजन देती है बल्कि यह बच्चों को मोबाइल की लत से भी बचा सकती है. मिट्टी से जुड़ने और पौधों की देखभाल करने से बच्चों में सकारात्मकता और जिम्मेदारी की भावना आती है.
(मनीष चौरसिया की रिपोर्ट)
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