
हमारे देश में खेती कमाई का सबसे पुराना पेशा माना जाता है. आज भी देश की सबसे बड़ी आबादी डायरेक्ट-इनडायरेक्ट खेती से जुड़ी हुई है. हालांकि पिछले कुछ सालों से लोग खेती छोड़ नौकरी या अन्य बिजनेस की ओर बढ़ रहे हैं लेकिन कुछ ऐसे भी युवा हुए हैं जो लाखों के पैकेज वाली नौकरी छोड़कर खेती से जुड़कर अपनी खास पहचान बना रहे हैं. ये कहानी संतोष वसंत जाधव की है जो महाराष्ट्र के सांगली से आते हैं. मॉर्डन खेती से जुड़कर ना सिर्फ अच्छी कमाई करते हैं बल्कि देशभर के युवाओं को खेती से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं.
एक मशहूर कहावत है 'उत्तम खेती, मध्यम बान, निषिद्ध चाकरी, भीख निदान' इसका मतलब है कि खेती सबसे उत्तम पेशा है. सांगली जिले के बीटा गांव के रहने वाले संतोष ने किसानतक से खास बातचीत करते हुए अपने सफर के बारे में दिलचस्प बातें बताई हैं. उन्होने बताया कि उनका सोने-चांदी का पुश्तैनी व्यापार है, वे भी परिवार के साथ उसी व्यापार में जुड़े थे. उनके घर पर खेती भी होती थी इसलिए उस ओर भी उनकी खास रुचि थी. साल 2016 की शुरुआत से उन्होंने खेती में पूरी तरह से उतरने का मन बनाया.
संतोष बताते हैं कि उनके पिता सालों से पारंपरिक तरीके से खेती करते आ रहे थे. उनकी मेहनत के बाद भी उन्हें खेती से खास मुनाफा नहीं मिलता था. 2015-16 के दौरान संतोष खेती से जुड़े और कुछ सफल किसानों से खेती के गुर सीखे, इसके अलावा उन्होंने स्थानीय किसान विज्ञान केंद्र से थोड़ी ट्रेनिंग ली और पहले साल मॉडर्न फार्मिंग को अपनाते हुए खुले खेत शिमला मिर्च की खेती शुरू की. संतोष ने देखा कि उन्हें पिछले कई सालों के मुकाबले अच्छा लाभ देखने को मिला फिर उन्होंने खेत में पॉलीहाउस बनाकर कलरफुल शिमला मिर्च की खेती की और पूरी तरह इस फील्ड में उतर गए.
10 सालों से खेती का अनुभव रखने वाले संतोष ने किसानतक को बताया कि वे आज 11 एकड़ में खेती करते हैं. उन्होंने एक खास फॉर्मूला बना रखा है जिसमें करेंट अकाउंट, शेविंग अकाउंट और एफडी शामिल है. कम समय में तैयार होने वाली सब्जियों की खेती से हुए प्रॉफिट को वे करेंट अकाउंट की कैटेगरी में रखते हैं. गन्ने की खेती को वे सेविंग अकाउंट मानते हैं और अंगूर की खेती को फिक्स डिपॉजिट यानी एफडी की कैटेगरी में रखते हैं.
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संतोष जाधव ने बताया कि उनकी मुख्य टमाटर, मिर्च, शिमला मिर्च और खीरा जैसी सीजनल फसलें हैं. इसके अलावा अंगूर और गन्ना खास फसलों में शामिल हैं. वे अंगूर का एक्सपोर्ट करते हैं और अब लाल अंगूर की भी ग्राफ्टिंग कर रहे हैं.
उनकी खेती का खास फार्मूला जानने के बाद ये भी जान लेते हैं कि आखिर संतोष की कमाई कितनी होती है. इस खबर में ऊपर हमने 30 लाख रुपये का जिक्र किया है. संतोष ने बताया कि वे मौसमी फसल, गन्ना और अंगूर की खेती से साल में करीब 30 लाख रुपये का टर्नओवर होता है. उन्होंने बताया कि 30 लाख की कमाई के बाद खेत की तैयारी, बुवाई, मैनेजमेंट और लेबर के पीछे लगभग 50-55 फीसदी पैसा खर्च हो जाता है और उनकी कुल बचत साल में 12-13 लाख रुपये की होती है.
संतोष एग्रीकल्चर फील्ड से जुड़ने के बाद सोशल मीडिया में भी खूब एक्टिव हो गए. वे सोशल मीडिया पर अपने अनुभव, खेती के टिप्स और कई तरह के नए प्रयोग की जानकारी देते हैं. इसके कारण उनके 20 लाख से अधिक फॉलोवर्स भी हैं. संतोष किसानतक के माध्यम से अपने तमाम चाहने वाले और खेती से जुड़ने के इच्छुक लोगों को सलाह दी है कि अगर आपकी दिलचस्पी है तो आपको छोटे पैमाने से और 1-2 लाख से अधिक पूंजी नहीं लगानी चाहिए. शुरुआत में आप अपने क्षेत्र की जलवायु और वातावरण के अनुसार ही फसलें उगाएं और खाद-पानी देने का सही समय और तरीका जानें. 1-2 साल खेती सीखने के बाद तीसरे साल से खेती में नए प्रयोग कर सकते हैं.
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