
वो जमाना बीत गया जब किसान कांधे में हल टांगे और एक धोती में दिन गुजारता था. आज भी देश के किसानों की आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं हुई है कि इसकी तारीफ में कसीदे पढ़े जाएं लेकिन अगर आप पारंपरिक तरीके की खेती छोड़ आधुनिक खेती से जुड़ते हैं तो यकीन मानिए आप भी लाखों में कमाई कर सकते हैं. हम ये बातें हवा में नहीं कह रहे बल्कि पिछले कुछ सालों से खेती में सफल हुए किसानों की कहानियां जानने के बाद कह रहे हैं. आज की कहानी है राजस्थान के छोटे से गांव मसीत से जहां के किसान इन्द्रपाल यादव खेती के क्षेत्र में सफलता की कहानी लिख रहे हैं.
मसीत गांव राजस्थान के अलवर जिले में आता है. यहां के एक किसान हैं इन्द्रपाल यादव. वे बताते हैं कि उनके पिताजी का ऑपरेशन हुआ था जिसकी वजह से उनके परिवार पर साल 1996 में लाखों का कर्ज लद गया था. इनका परिवार आर्थिक स्थिति से इतना ज्यादा जूझ रहा था कि इन्द्रपाल कॉलेज में एडमिशन तो ले लेते हैं लेकिन फर्स्ट ईयर के बाद ही उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ती है और साल 2003 में वे पूरी तरह से खेती से जुड़ जाते हैं.
अलवर राजस्थान के मसीत गांव में रहने वाले किसान इन्द्रपाल के घर में शुरुआत से ही खेती हो रही थी, वे 13 साल की उम्र से ही खेती में दिलचस्पी रखने लगे थे. बाद में परिवार की स्थिति बिगड़ी तो पूरी तरह से खेती उनके पास चली गई. इन्द्रपाल बताते हैं कि साल 2011 में पिता के निधन के बाद वे आधुनिक खेती की ओर बढ़े और नकदी फसलों की खेती करने का फैसला किया. उनकी मुख्य फसलें प्याज, गोभी, भिंडी, खीरा सरसों, कपास, गेहूं और बाजरा है. इसके अलावा वे मात्र 60-70 दिनों में प्याज तैयार करते हैं जो प्याज आमतौर पर 100-120 दिनों में तैयार होती है.
इन्द्रपाल खेती के क्षेत्र में एक खास प्रयोग करते हैं. जो प्याज तैयार होने में औसतन 120 दिन का समय लगता है उसी प्याज को वे मात्र 60-70 दिनों में तैयार कर देते हैं. इन्द्रपाल ने किसानतक से खास बातचीत के दौरान बताते हैं कि आमतौर पर किसान प्याज की नर्सरी तैयार करते हुए 45 दिनों बाद पौध निकालते हैं और खेतों में रोप देते हैं. यही काम इन्द्रपाल थोड़ा अलग तरीके से करते हैं वे लगभग 90 दिनों तक नर्सरी तैयार करते हैं और फिर उसपर बन रही गांठों को उखाड़ कर हल्का सुखाते हैं और सुरक्षित स्थान में स्टोर कर देते हैं.
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इन्द्रपाल इन गांठों की रोपाई खरीफ सीजन में 15 अगस्त के आस-पास करते हैं और फिर मात्र 2 महीने में प्याज तैयार हो जाती है. उन्होंने बताया कि इस तकनीक से भरपूर पैदावार मिलती है. वे 10 एकड़ में इस तरह से प्याज रोपते हैं और प्रति एकड़ 60-70 क्विंटल प्याज की पैदावार होती है, कई बार 100 क्विंटल की पैदावार भी ले चुके हैं.
किसानतक से बातचीत करते हुए इन्द्रपाल बताते हैं कि उन्होंने खेती के क्षेत्र में नकदी फसलों को विशेष महत्व दिया है. 10 एकड़ खुद के खेत के अलावा उन्होंने कुछ अन्य किसानों से लीज में भी खेत ले रखा है और उसमें भी सब्जियां उगाते हैं. इन सबको मिलाकर सालाना 55-60 लाख का खर्च आता है. देखभाल, खाद-बीज और अन्य खर्च को हटाकर वे सालाना 30 लाख रुपये तक बचा लेते हैं. जो खेती के लिहाज से काफी अच्छी कमाई मानी जाती है. इसके अलावा वे सोशल मीडिया के माध्यम से भी किसानों को जागरूक करते हैं वहां भी रेवेन्यू जनरेट होता है. वे प्याज की खास खेती की ट्रेनिंग देकर देश के हजारों किसानों को प्याज के खेती का नया तरीका दे दिया है.
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