रोहतक, हरियाणा के दो भाई हरदीप और साहिल ने ऐसी खेती की है, जिसके बारे में अधिकांश लोगों को पता नहीं है. दरअसल, रोहतक जिले के मदीना के रहने वाले दो भाई जो एमबीए और बीकॉम पास हैं उन्होंने अपने 10 एकड़ बंजर भूमि में लेमन ग्रास उगाई है जो पूरी तरह से ऑर्गेनिक है. दोनों भाइयों ने खेत में ही लेमन ऑयल और लेमन वाटर निकालने के लिए 12 लाख रुपये खर्च कर प्रोसेसिंग प्लांट भी लगाया है. यही ऑयल अब वे फाइव स्टार होटलों से लेकर कई बड़ी दवा कंपनियों को बेचते हैं. बात करें कमाई की तो ये किसान एक एकड़ में सालाना 3 से 4 लाख रुपये की आमदनी ले रहे हैं. आइए जानते हैं उनकी सफलता की कहानी.
किसान हरदीप और साहिल ने बताया कि उनके पास 20 एकड़ पैतृक जमीन है, जिसमें वो लेमन ग्रास की खेती करते हैं. उन्होंने बताया कि उनके चाचा दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं, उन्हीं की प्रेरणा से उन्होंने लेमन ग्रास की खेती शुरू की थी. इसके लिए उन्होंने पहले हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में कई कार्यशालाओं में हिस्सा लिया. इसके बाद हिमाचल प्रदेश के पालमपुर से लेमन ग्रास की पनीरी लेकर आए, जिसके बाद साल 2023 में उन्होंने दो एकड़ में लेमन ग्रास की खेती की. अब यह रकबा 10 एकड़ तक पहुंच गया है. लेमन ग्रास की खेती से वे धान, गेहूं, कपास, गने जैसी परंपरागत फसलों की तुलना में प्रति एकड़ इस समय 3 से 4 गुना अधिक आय प्राप्त कर रहे हैं.
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हरदीप और साहिल ने बताया कि उन्होंने लेमन-टी भी बाजार में उतारी है. इसके 40 ग्राम के एक पाउच की कीमत 150 रुपये है. इसी तरह लेमन वाटर को भी वे 100 और 200 ML की बोतलों में भरकर कई शहरों में सप्लाई कर रहे हैं. इसके अलावा एडवांस में दवा कंपनियों के ऑयल के ऑर्डर मिल रहे हैं. साथ ही इसके लिए हरदीप को सम्मानित भी किया गया था. वहीं, जिला बागवानी अधिकारी डॉ. कमल सैनी ने कहा कि दोनों भाइयों द्वारा की गई खेती हर किसान के लिए प्रेरणादायक है.
खेती को लेकर उन्होंने बताया कि लेमन ग्रास की खेती वो पूरी तरह से ऑर्गेनिक तरीके से करते हैं. धान की तरह इसकी पनीरी लगानी पड़ती है. इसके बाद 5 साल तक यह पैदावार देती है. वहीं, 6 से 8 महीने में फसल तैयार हो जाती है और उसके बाद इसकी छंटाई की जाती है. फसल में सिंचाई की गेहूं, धान की तुलना में काफी कम जरूरत पड़ती है. सबसे बड़ी बात यह है कि खेत में फसल को किसी प्रकार के नुकसान होने का भी कोई खतरा नहीं होता, क्योंकि पशु भी इसको नहीं खाते हैं.
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