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Success Story: मशरूम की खेती से बदली सहारनपुर की इस महिला किसान की तकदीर, जानें सफलता की कहानी

Success Story: मशरूम की खेती से बदली सहारनपुर की इस महिला किसान की तकदीर, जानें सफलता की कहानी

महिला किसान प्रियंका सिंह ने बताया कि गंदगी के चलते पैदा होने वाले कीट से भी मशरूम की खेती प्रभावित होती है. गंदगी में पनप रही मक्खियां मशरूम के पूरे बैग को नुकसान पहुंचाती हैं.

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प्रियंका सिंह आज मशरूम की खेती से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का काम कर रही है. (Photo-Kisan Tak) प्रियंका सिंह आज मशरूम की खेती से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का काम कर रही है. (Photo-Kisan Tak)

Success Story: कहते हैं कि अगर इरादे मजबूत हो और कड़ी मेहनत की जाए तो सफलता मिलना मुश्किल नहीं होता है. इसी बात को सच साबित कर दिखाया है कि सहारनपुर जिले की महिला किसान प्रियंका सिंह ने, जो आज जिले के तमाम किसानों के लिए मिसाल बनी हैं. प्रियंका सिंह आज मशरूम की खेती से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का काम कर रही हैं. वह अपने साथ कई अन्य महिलाओं को रोजगार देने के अलावा लोगों को प्रेरित व जागरूक भी कर रही हैं. प्रियंका द्वारा उत्पादित बटन और आस्टर मशरूम की देहरादून, हरिद्वार और रुड़की में अच्छी डिमांड है. इसके अलावा वह अचार, मुरब्बा, पाउडर और पापड़ का भी व्यापार कर रही हैं, जिससे उन्हें अच्छी आय हो रही है. इंडिया टुडे के डिजिटल प्लेटफॉर्म किसान तक से बातचीत में प्रियंका सिंह ने बताया कि उनकी सालाना इनकम 25 से 30 लाख रुपये के करीब है.

महिला किसान प्रियंका सिंह ने बताया, साल 2015 बिहारीगढ़ क्षेत्र में छोटा से प्लांट लगाकर इसकी शुरुआत की थी. पहले चरण में 4 हजार मशरूम बैग से काम शुरू किया था. किसी नए काम को शुरू करने से पहले उन्‍होंने सहारनपुर कृषि विज्ञान केंद्र जाकर कुछ टिप्स लिया था. वहीं प्रशिक्षण शिविर के जरिए तकनीकी जानकारी हासिल कर धीरे-धीरे मशरूम उत्पादन के व्यापार को आगे बढ़ाया. वर्तमान में 25 हजार मशरूम बैग की यूनिट काम कर रही है. प्रियंका सिंह ने आगे कहा कि मशरूम उत्पादन प्लांट में प्रतिदिन करीब 500 से 600 किलो प्रतिदिन मशरूम का उत्पादन हो रहा है.

जबकि मशरूम की थोक कीमत 110 रुपये किलो है. इसके अलावा वह कंपोस्ट के बैग भी तैयार कर आर्थिक रूप से अतिरिक्त लाभ अर्जित हो रहा हैं. प्रियंका सिंह ने बताया कि वह बहुत से युवाओं को कम्पोस्ट के बैग तैयार करने के साथ मशरूम उत्पादन की सभी जानकारी एक प्रशिक्षक के रूप में नि:शुल्क दे रही हैं.

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सफल महिला किसान ने बताया कि अपने मशरूम उत्पादन प्लांट में तीन एसी यूनिट भी लगाई है. उन्‍होंने बताया कि एसी यूनिट के लगने से 12 महीने मशरूम का उत्पादन लगातार होता है. कम निवेश में स्वयं का रोजगार शुरू करने का उनका यह प्रयास एकदम सफल रहा है. प्रियंका ने कहा कि भविष्य में उन्होंने अपने मशरूम उत्पादन को बढ़ाकर इसकी सप्लाई बड़े महानगरों में करने का लक्ष्य रखा है. बता दें कि सहारनपुर के किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ आधुनिक खेती की ओर भी अग्रसर हो रहे है. जनपद में मशरूम की खेती बड़े स्तर पर किसानों द्वारा की जा रही है.

मशरूम की ऐसे करें देखभाल, नहीं होगा नुकसान

प्रियंका सिंह ने बताया कि गंदगी के कारण पैदा होने वाले कीट से भी मशरूम की खेती प्रभावित करती है. गंदगी में पनप रही मक्खियां मशरूम के पूरे बैग को प्रभावित कर देती है. उन्होंने कहा कि मशरूम उत्पादक किसानों से अनुरोध करते हुए कहा कि उत्पादन इकाई में बने कमरों के दरवाजों को पूरी तरह पैक कर दें. जिससे कोई भी कीट कमरे के अंदर न जाने पाए. इसके अलावा किसानों को कंपोस्ट बैग के ऊपर कीटनाशक दवाइयो का छिड़काव भी करना चाहिए.

कैसे होती है मशरूम की खेती

मशरूम के कई प्रकार होते हैं, भारत में अच्छी कमाई के लिए किसान सफेद बटर मशरूम, ऑयस्टर मशरूम, दूधिया मशरूम, पैडीस्ट्रा मशरूम और शिटाके मशरूम उगा रहे हैं. मशरूम की खेती का सबसे बड़ा फायदा तो ये है कि इसके लिए आपको मिट्टी की जरूरत नहीं, बल्कि प्लास्टिक के बड़े-बड़े बैगों, कंपोस्ट खाद, धान और गेहूं का भूसा इसे उगाने के लिए काफी है. अगर आप इसे उगाना चाहते हैं तो सबसे पहले छोटी जगह पर शेड़ लगाकर उसे लकड़ी और जाल से कवर कर के उदाहरण के तौर पर ऐसा कर के देख सकते हैं. वहीं अगर आप इसे घर में उगाना चाहते हैं तो सबसे पहले एक प्लास्टिक के बैग में कंपोस्ट खाद के साथ धान-गेहूं का भूसा मिलकार रख लें. फिर कंपोस्ट से भरे बैग में मशरूम के बीज को डालें और इसमें छोटे-छोट छेद कर दें, इन्हीं छेदों की मदद से मशरूम उगने के साथ ही बाहर निकल आएंगे.