Success Story: बिहार का किसान सितंबर में कर रहा धान की कटनी, जानें 60 दिन में कैसे तैयार की फसल

Success Story: बिहार का किसान सितंबर में कर रहा धान की कटनी, जानें 60 दिन में कैसे तैयार की फसल

खरीफ सीजन में जहां किसान अपनी धान की फसल को बचाने में लगे हुए हैं, वही बिहार के कैमूर के एक किसान ने जुलाई में धान की खेती कर महज 60 दिन में धान की कटनी शुरू कर दी है. आज ये किसान कई लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं क्योंकि बेहद कम दिन में फसल तैयार की है.

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Success Story: बिहार का किसान सितंबर में कर रहा धान की कटनी, जानें 60 दिन में कैसे तैयार की फसलबिहार के किसान आनंद कुमार पांडेय सितंबर में कर रहे धान की कटनी. फोटो-किसान तक

जलवायु परिवर्तन और अल नीनो के बीच बिहार के किसान खरीफ सीजन में धान की फसल को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. वहीं कुछ किसान सितंबर के महीने में आधुनिक समय के अनुसार खेती करते हुए धान की फसल काटने की तैयारी में हैं. राज्य की राजधानी पटना से करीब 230 किलोमीटर दूर कैमूर जिले के छेवरी गांव के किसान आनंद कुमार पांडेय ने कम अवधि वाले मेहिन धान की खेती कर मिसाल पेश की है. इस साल मॉनसून की बेरुखी के कारण किसान अपनी फसल को बचाने की चिंता में हैं. वहीं आनंद कुमार इन तमाम चिंताओ को बाय-बाय करके अगली फसल लगाने की तैयारी में हैं. इसके साथ ही इनके खेतों में कम पानी में लहलहाती तैयार धान की फसल को देख अन्य किसान खेती के गुर सीखने आ रहे हैं. 

6 बीघा में किए हैं कम अवधि वाले मेहिन धान की खेती किसान आनंद कुमार पांडेय. फोटो-किसान तक
6 बीघा में किए हैं कम अवधि वाले मेहिन धान की खेती किसान आनंद कुमार पांडेय. फोटो-किसान तक

किसान ने करीब छह बीघा में मात्र 60 दिनों में करिश्मा नामक किस्म की खेती की है. इनके अनुसार औसतन साढ़े तीन क्विंटल प्रति बीघा तक धान का उत्पादन होने का आसार है. खेती में तरक्की का नया नजरिया पेश करने का विचार इन्हें पिछले चार साल पहले हुआ. किसान ने जलवायु परिवर्तन को देखते हुए उचास वाली जमीन में कम अवधि वाले धान की खेती करने का निर्णय किया. 

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खेती में किया नया प्रयोग

किसान तक से बातचीत के दौरान आनंद कुमार पांडेय ने बताया कि पिछले कई साल से ऐसा देखने को मिल रहा है कि बारिश के समय में काफी बदलाव हुआ है. वहीं उचास वाले इलाके में धान की फसल को बचाना किसी चुनौती से कम नहीं था. नहर में नियमित पानी नहीं आने से फसल सूख जाया करती थी. इन्हीं तमाम समस्याओं को देखते हुए कम अवधि वाले धान की खेती करने का विचार किया. आनंद कुमार ने कहा कि पिछले चार साल से वे 80 से 85 दिन वाले धान की खेती करते हैं. इसमें ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है. इसमें कम खाद और कम रोग लगते हैं. सितंबर तक फसल काटने लायक हो जाती है. 

खेत में तैयार धान की फसल. फोटो-किसान तक
खेत में तैयार धान की फसल. फोटो-किसान तक

आगे वे कहते हैं, आज के समय को देखते हुए खेती में नया प्रयोग करने की जरूरत है. तभी किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो पाएगा. वरना जिस तरह से बेमौसम बारिश और सूखे जैसे हालात बन रहे हैं, उसमें खेती करना आसान नहीं है. 

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जुलाई में रोपनी, सितंबर में कटाई

आनंद कुमार पांडेय ने शुरुआती जून में करिश्मा नामक धान की नर्सरी डाली थी. वहीं सात जुलाई को धान की रोपनी की थी. इसके साथ ही सितंबर के मध्य तक धान की फसल काटने योग्य हो गई है. वे कहते हैं कि करिश्मा या कम अवधि वाले धान की खेती के लिए बहुत ज्यादा पानी की जरूरत नहीं है. इस धान की खेती में सप्ताह में दो बार पटवन की जरूरत होती है. इसकी खेती के दौरान केवल जमीन को गीला रखना होता है. करीब एक एकड़ में धान का उत्पादन 14 क्विंटल के आसपास हो जाता है. वहीं  उत्पादन प्रति बीघा करीब साढ़े तीन क्विंटल के आसपास है. आगे वे कहते हैं कि साढ़े तीन क्विंटल धान में करीब दो से ढाई क्विंटल तक चावल होता है. हाल के समय में इसका चावल 2500 रुपये से अधिक प्रति क्विंटल के भाव से बिक रहा है. 

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