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Success Story: गेंदे ने बदल दी त्रिपुरा के किसानों की किस्मत, पहले से कई गुना बढ़ गई कमाई

Success Story: गेंदे ने बदल दी त्रिपुरा के किसानों की किस्मत, पहले से कई गुना बढ़ गई कमाई

त्रिपुरा के कई गांव जैसे, लाखीबिल, गोलाघाटी, पथलिया, भाटी लारमा, रघुनाथपुर, मध्य लक्षी बिल, बिशालगढ़ नगर पालिका, रौतखला और केके नगर सहित गांवों में किसान गेंदे के साथ-साथ ट्यूब गुलाब और ग्लेडियोलस की खेती करने लगे हैं. इससे उनकी आय में बढ़ोतरी हुई है.

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गेंदे ने बदल दी त्रिपुरा के किसानों की किस्मत गेंदे ने बदल दी त्रिपुरा के किसानों की किस्मत

पारंपरिक खेती से हटकर बागवानी खेती में त्रिपुरा के सिपाहीजला जिले के किसानों ने बड़ा उदाहरण पेश किया है. यहां किसानों के एक वर्ग ने मौसमी फूलों की खेती की ओर रुख किया है, जिससे उन्हें बेहतर मुनाफा मिल रहा है. इससे उनकी कमाई के एक नए युग की शुरुआत हो रही है. यहां के किसानों ने गेंदे की खेती को ही अपनी खेती का आधार बना लिया है. इससे दुर्गा पूजा और दिवाली के त्योहारों के दौरान इन किसानों की अच्छी आमदनी होती है. उस समय बाजारों में गेंदे की कीमत 150 रुपये प्रति किलो होने से किसानों को पारंपरिक फसलों की तुलना में अधिक कमाई होती है. 'इंडिया टुडे एनई' से बात करते हुए, यहां के एक किसान संजीब देबनाथ ने कहा कि फूलों की बढ़ती मांग के कारण उन्हें कई वर्षों से मुनाफा हो रहा है.

किसान संजीब ने कहा कि वो काफी समय से गेंदे के फूलों की खेती कर रहे हैं. शुरुआत में उन्हें इसकी खेती में नुकसान हुआ, लेकिन अब वह बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं क्योंकि राज्य भर में फूलों की मांग भी बढ़ गई है. उन्होंने बताया कि उन्हें गेंदे की खेती के लिए सरकार से भी सहायता मिली है.  .

100 रुपये प्रति किलो बीक रहा है गेंदा

त्रिपुरा के कई गांव जैसे, लाखीबिल, गोलाघाटी, पथलिया, भाटी लारमा, रघुनाथपुर, मध्य लक्षी बिल, बिशालगढ़ नगर पालिका, रौतखला और केके नगर सहित गांवों में किसान गेंदे के साथ-साथ ट्यूब गुलाब और ग्लेडियोलस की खेती करने लगे हैं. इससे किसानों ने अपने लिए फूलों की खेती में बदलाव ला दिया है. वहीं व्यापारी नियमित रूप से खेतों में आते रहते हैं, जहां गेंदा अक्सर 100 रुपये प्रति किलो पर बेचा जाता है. ऐसे में त्रिपुरा की अलग-अलग जलवायु परिस्थितियों में गेंदे की उत्पादन क्षमता को बढ़ावा मिला है. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि किसानों को बेहतर पैदावार के साथ-साथ कम से कम सिंचाई की जरूरत होती है.

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फूलों की खेती पर सरकार देती है सब्सिडी

एक और किसान पर्णा बनिक दास ने भी यही बात कही कि उन्होंने गेंदा के साथ-साथ एम्पोरियम जैसे अन्य महंगे फूलों की खेती भी शुरू कर दी है. इसमें उन्हें मुख्यमंत्री पुष्प उद्यान योजना और एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) के तहत महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता मिली. उन्होंने बताया कि गेंदे की खेती पर प्रति कानी 6400 रुपये की सब्सिडी मिली, जबकि ग्लेडियोलस और ट्यूब गुलाब की खेती पर प्रति कानी 24000 रुपये की सब्सिडी मिली.

महिलाओं को भी बनाया जा रहा है सशक्त 

साथ ही बागवानी विभाग ने 16000 रुपये प्रति कानी की सब्सिडी के साथ गुलाब की खेती को और बढ़ावा दिया है. विशालघर कृषि क्षेत्र के सेक्टर अधिकारी की देखरेख में इन किसानों की खेती में फूलों ने बड़ी भूमिका निभाई है. इस परिवर्तन ने न केवल कृषि क्षेत्र में क्रांति ला दी है, बल्कि महिलाओं को भी सशक्त बनाया है, जो स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की सक्रिय सदस्य हैं, उन्हें खेती-बाड़ी से कमाई में कई नए अवसर मिले हैं.