बिहार के लिए कृषि एडवाइजरी जारी, गेहूं, मक्का और अरहर की फसलों का ऐसे रखें ध्यान

बिहार के लिए कृषि एडवाइजरी जारी, गेहूं, मक्का और अरहर की फसलों का ऐसे रखें ध्यान

देर से बोई गई गेहूं की फसल में प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी में 2.5 किलोग्राम जिंक सल्फेट, 1.25 किलोग्राम चूना और 12.5 किलोग्राम यूरिया के मिश्रण का छिड़काव करें. इससे फसल को नई जान मिलेगी और उपज में भी बंपर इजाफा देखा जाएगा.

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बिहार के लिए कृषि एडवाइजरी जारी, गेहूं, मक्का और अरहर की फसलों का ऐसे रखें ध्यानगेहूं की खेती

बिहार में रबी फसल का सीजन चल रहा है. इस बीच मौसम में भी काफी उतार चढ़ाव देखने के लिए मिल रहा है. ऐसे में फसलों को भी नुकसान हो सकता है. किसानों को इस नुकसान से बचाने के लिए और अच्छी पैदावार दिलाने के लिए मौसम विभाग (IMD) की तरफ से सलाह जारी की जाती है. इसका पालन करके किसान नुकसान से बच सकते हैं, साथ ही अच्छी पैदावार भी हासिल कर सकते हैं. इस बार किसानों के लिए जारी सलाह में कहा गया है कि जिन किसानों ने समय पर गेहूं की बुवाई की है उसकी अवस्था 60-65 दिनों की हो गई है. इस अवस्था में गेहूं में तीसरी सिंचाई करें. इसके अलावा जिन किसानों ने देरी से गेहूं की बुवाई की है, उनकी फसल 40-55 दिन अवस्था में है उसमें दूसरी सिंचाई करें. 

देर से बोई गई गेहूं की फसल में प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी में 2.5 किलोग्राम जिंक सल्फेट, 1.25 किलोग्राम चूना और 12.5 किलोग्राम यूरिया के मिश्रण का छिड़काव करें. इस छिड़काव को तब करें अगर फसल के खेत में जिंक की कमी के लक्षण दिखाई दें. वहीं रबी मक्का की खेती को लेकर जारी सलाह में कहा गया है कि किसान रबी मक्का की सिंचाई अवश्य करें. इसके साथ ही सिंचाई के बाद खेत में 50 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर डालने की सलाह दी जाती है. इस तरह मक्के का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है. 

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अरहर में फली छेदक कीट का हो सकता है प्रकोप

इस मौसम में अरहर में फली छेदक कीटों के संक्रमण के लिए नियमित निगरानी की सलाह दी जाती है. खास कर उन खेतों में जहां पर फूल अब फली बनने की अवस्था में हैं. वहां पर लार्वा फली में प्रवेश करते हैं और बीज खाते हैं. इसलिए अगर अरहर के पौधों में यह संक्रमण पाया जाता है, तो इसके नियंत्रण के लिए कार्टैप हाइड्रोक्लोराइड का 1.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने की सलाह दी जाती है. 

एफिड के प्रकोप से होने वाला नुकसान

इसके अलावा ऐसे मौसम में सरसों की फसल में एफिड का संक्रमण हो सकता है. इससे बचाव के लिए लिए निरंतर निगरानी की सलाह दी जाती है. एफिड के शिशु और वयस्क दोनों ही पत्तियों, तनों, फूल या विकसित हो रही फलियों से कोशिका-रस चूसते हैं. कीट की संख्या बहुत अधिक होने के कारण पौधों की जीवन शक्ति बहुत कम हो जाती है. पत्तियां घुंघराले दिखने लगती हैं, फूल फलियां बनाने में विफल हो जाते हैं और विकसित होने वाली फलियां स्वस्थ बीज पैदा नहीं कर पाती हैं. इससे बचाव के लिए कीटनाशकों का छिड़काव करें. 

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आम और लीची के बगानों में बंद करे इंटरक्रॉपिंग

वहीं बागवानी फसलों की बात करें तो इस समय आम और लीची में फूल आने का समय आ गया है. ऐसी स्थिति में किसानों को सलाह दी जाती है कि वे बगीचे में अंतरकृषि क्रिया बंद कर दें. इसके साथ ही पेड़ों की पत्तियों पर इमिडक्लोप्रिड 17.8 एसएल या साइपरमेथ्रिन 10 ईसी का एक एमएल प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. इससे आम और लीची के बागों को हॉपर और मिली बग के प्रकोप से बचाया जा सकेगा. 


 

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